बुधवार, 21 दिसंबर 2011

हमारी किस्मत अच्छी है जो आप हमसे खफा हैं.....

    रोजमर्रा की ज़िंदगी में एकरसता से निपटने का एक बहुत ही पुराना नुस्खा है...और वह है अपनों को खफा करना ..और जब वे खफा हो जाएँ तो उन्हें मनाना. यह नुस्खा पुराना ज़रूर है पर है बहुत ही कारगर. जो यह नुस्खा अपनाना चाहते हैं उनके लिए बिना फीस के हाज़िर है. नुस्खे का एक नमूना पेश है -

आप सच्ची में ....सीरियसली ....मुझसे नाराज़ हैं ?
अगर ऐसा है तो हम खुश किस्मत हैं .......नाराजों को मनाने का एक अलग ही सुख है ....हर किसी को नहीं मिलता. हमारी किस्मत अच्छी है जो आप हमसे खफा हैं.....
चलिए आपको मनाने का पहला दौर शुरू करते हैं .....

लाईट ...कैमरा ....एक्शन .....

दौर-ए-सीन, एक :-  हम ज़िल्ले इलाही बोल रहे हैं. हमें पता है कि आप हमसे बेहद ख़फ़ा हैं. आपकी नाराज़गी की वज़ह भी बिलकुल जायज है ...हम क़ुबूल करते हैं कि हमसे गुस्ताख़ी हुयी है. हम आपको यकीन दिलाते हैं कि हम दोबारा ऐसी ग़लती हरगिज़ नहीं करेंगे. अगर हमसे दोबारा ऐसी ग़लती हुयी तो आपको ये अख्तियार है कि आप हमें दो घण्टे के लिए घोड़ों के तबेले में बिना चारे के बंद कर दें. हम आपसे मुआफी की दरख्वास्त करते हैं. उम्मीद है कि हमारी दरख्वास्त क़ुबूल की जायेगी. 
कट..कट...कट.. 

लाईट ...कैमरा ....एक्शन .....
दौर-ए-सीन, दो :- 
आपके कदमों में हमारा आदाब क़ुबूल फ़रमायें ! देखिये हम आपके लिए क्या लाये हैं ....सफ़ेद फूलों का गुलदस्ता. ये सफेदी हमारी शर्मिन्दगी और अमन का पैगाम लेकर आयी है ......अब गुस्से को थूक दीजिये और मान जाइए. लीजिये, गुस्सा थूकने के लिए ये हीरों जड़ा पीकदान भी हम खुद ही साथ लाये हैं....थूकिये ...और थूकिये ....जी भर के थूकिये ......
कट...कट...कट...  

लाईट ...कैमरा ....एक्शन .....
दौर-ए-सीन, तीन :-  
ओह ! हमारी दरख्वास्त अभी तक क़ुबूल नहीं हुयी है. क्या हम इसका मतलब ये निकालें कि आपका गुस्सा सातवें .....या फिर इससे भी ऊंचे वाले  किसी आसमान पर है ? ठीक है ...हम आके गुस्से को उतारने के लिए आतिश बुझाने वाली किसी कंपनी से बात करेंगे ....मगर .....
.....मगर हम यह भी जानना चाहते हैं कि आपका ये गुस्सा वहाँ आसमान पर कर क्या रहा है ? आखिर हम ज़िल्ले इलाही हैं ...हमें सब कुछ जानने का पूरा हक़ है. 
कट..कट..कट....

लाईट ...कैमरा ....एक्शन .....
दौर-ए-सीन, चार :- 
उफ़ ! कहाँ मर गए ये सब फायर ब्रिगेड वाले ! कोई भी नहीं मिला क्या ......
मुश्किल में कोई साथ नहीं देता. या परवर दिगार रहम कर....या मेरे मौला .....मेरा ये छोटा सा काम कर दे ...मैं दुनिया की सारी दरगाहों पर चादर ..तकिया...रजाई ..सब चढाऊंगा. 
बीरबल !...अरे ओ बीरबल ! नई खे सुनत का रे बीरबलवा ...
जाओ ...पता करो दुनिया में कितने पीर हैं ..कितनी मज़ारें हैं...कितनी दरगाहें हैं. और इनमें से कितनों को अपनी ज़िंदगी में भागलपुरी चादरें नसीब नहीं हुयी थीं .....सब को बिस्तर मुहैया कराने के इंतज़ाम करो .....हम रूठे हुओं को मनाने की ज़बरदस्त मुहिम छेड़ने वाले हैं....  
कट..कट..कट....

लाईट ...कैमरा ....एक्शन .....
दौर-ए-सीन, पांच :-  
लो,.... यहाँ तो कोई एक अदद दरिया तक नहीं है ....समंदर की तो बात ही छोड़िये ...चारो तरफ़ रेत ही रेत ....गाने वाला सीन है ...क्या करें ? मगर करना तो है ही ....चलो, बीरबल यहीं शूट कर लेते हैं ....

अभी ना मानो रूठकर  ...मुहिम अभी शुरू हुयी....शुरू हुयी ...शुरू हुयी ...
पहली बार रूठी हो ......टंकी पे जाके बैठी हो ... बैठी रहो.... बैठी रहो .......रूठी रहो ....रूठी रहो .....
तुम्हें मनाने का मज़ा ...पहले कभी मिला नहीं ...मिला नहीं ...मिला नहीं ....  नहीं  नहीं  कभी नहीं ...
देखो यहाँ पे रेत है .....फूलों का रंग सफ़ेद है ....फिर न कहना ये कभी .....पैगाम हमें मिला नहीं ...मिला नहीं मिला नहीं ....
जब तक कहें न हम तुम्हें.....मिलके न आयें हम उन्हें ....तुम यहीं सोती रहो ...सोती रहो ..सोती रहो...सोती रहो ...सोती रहो .....
कट..कट..कट....

चलिए मानसिंह जी ! आज यहीं तक. गाने का बाकी हिस्सा कल शूट करेंगे, कोई समंदर तलाश लीजिएगा .......आज तो पैक अप किया जाय ....


6 टिप्‍पणियां:

  1. सभी दृश्य पसंद आये... नाराज को मनाने का तरीका निराला है... यदि नाराजगी सचमुच में मासूम है तो आप सफल होंगे... किन्तु यदि वह हठी और अहंकारी होगी तो आपका यह अरण्य रोदन ही कहा जायेगा.

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  2. डॉक्टर साहब,
    तबियत ठीक तो है ना आपकी.. आपका ये अंदाज़.. ऐसे में कोइ कितनी देर नाराज़ रह सकता है भला!!

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  3. कमेंट बाक्सĔ पर टिप्पŗणी स्वीŶकार नहीं हो रही है, शायद मेरे सिस्टהम की कोई अड़चन है, सो यहां-
    ''मजेदार बने हैं सभी दृश्य‍''.


    --
    राहुल कुमार सिंह
    छत्ती सगढ

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  4. ये फार्मूले तो तभी काम आयेंगे जब नाराजगी भी इसी किस्म की हो :)

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  5. अगले सीन में कोई गीत होना चाहिये:
    1. हमसे रहोगे क्या हमेशा खफ़ा ...
    2. किसी पत्थर की मूरत से ...
    3. जिया ओ जिया कुछ बोल दो ...
    4. वो हैं ज़रा खफ़ा, खफ़ा ...
    5. रूठ के हमसे कभी ...
    6. सैयाँ रूठ गये, मैं मनाती रही ...
    7. रूठे रूठे पिया, मनाऊं कैसे ...
    ... वगैरा, वगैरा ...

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  6. bahut rochak. koi ruthta bhi tabhi hai jab wo apna ho, gairon se koi ruthta bhi bhala kab hai. ruthe ko manane ka andaaz bahut nirala. maan singh ke jahaanpanaah maan hi jaayenge ab, light sound...pack up

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टिप्पणियाँ हैं तो विमर्श है ...विमर्श है तो परिमार्जन का मार्ग प्रशस्त है .........परिमार्जन है तो उत्कृष्टता है .....और इसी में तो लेखन की सार्थकता है.