मंगलवार, 11 सितंबर 2012

धर्मांतरण की वैश्विक नीति


विकसित समाज की त्रासदियों में से एक महत्वपूर्ण त्रासदी है बलात् धर्मांतरण। एशियायी देशों, विशेषकर पाकिस्तान, बांग्लादेश और भारत में हिन्दुओं के बलात् धर्मांतरण की घटनाओं पर किसी का कोई अंकुश नहीं होना और भी चिंताजनक है। पाकिस्तान और बांग्लादेश की अपेक्षा स्वतंत्र भारत में भी हो रही धर्मांतरण की घटनाओं ने स्थिति को और भी भयावह बना दिया है। हिन्दुओं ने कभी किसी को धर्मांतरण के लिये नहीं कहा ..न कभी ऐसा कोई अभियान चलाया, जबकि मुस्लिमों और ईसाइयों ने धर्मांतरण के लिये वह सब कुछ किया जिससे मानवता कराहती रही। यह क्रम सहस्त्रों वर्षों से अनवरत् चल रहा है ...तब के पराधीन भारत से लेकर आज के स्वतंत्र भारत तक। केवल एक औरंगज़ेब ने ही नहीं बल्कि उस जैसे बेशुमार लोगों ने इस्लाम धर्म के नाम पर मानवता को शर्मसार करने में कोई कसर नहीं रख छोड़ी। विश्व इतिहास में ऐसा कोई उदाहरण नहीं मिलेगा जिसमें किसी हिन्दू द्वारा किसी विदेशी भूमि पर जाकर वहाँ के राजाओं के साथ या वहाँ की प्रजा के साथ अमानुषिक व्यवहार किया गया हो। इस्लामिक अनुयायियों द्वारा प्रचलित प्रताड़ना के तरीके अद्भुत हैं ...क्रूरता की अपनी ही बनायी हर सीमा को तोड़ते हुये एक इस्लामिक विश्व की कल्पना की जाती रही है। यह मोहम्मद गोरी है जो पृथ्वीराज की आँखें बड़ी क्रूरता के साथ गर्म सलाखों से फोड़ देता है....यह औरंगज़ेब है जो शिवाजी के पुत्र सम्भा जी की जिव्हा काटकर फेक देता है और आँखें गर्म सलाखों से फ़ोड़ कर तड़प-तड़प कर मरने के लिये बाँध कर छोड़ देता है ...भारत में ऐसे उदाहरणों की भरमार है।

विदेशी मुसलमानों के अमानुषिक अत्याचारों से सदियों तक लुहूलुहान होते रहे उसी भारत में स्वतंत्रता प्राप्ति के समय धर्म के नाम पर देश के हिस्से हुये.... इस त्रासदी के बाद भी आर्यों का देश एक बार फिर खोखले आदर्शवाद और अदूरदर्शिता का एक लम्बे समय तक शिकार होते रहने के लिये बाध्य कर दिया गया। इस बाध्यता का परिणाम् क्या होगा कोई नहीं जानता। हिन्दू राष्ट्र की स्थापना के लिये किये गये न जाने कितने महान लोगों के बलिदानों को विस्मृत कर दिया गया। धर्मनिरपेक्षता के आयातित पाखण्ड के खोखले आदर्शों की स्थापना के समय पृथ्वीराज और सम्भा जी की तप्तलौहदग्ध आँखों की पीड़ा को स्मरण किये जाने की किसी ने आवश्यकता नहीं समझी। किसी ने भारत की मासूम बेटियों-बहुओं के साथ इस्लामिक झण्डाबरदार अनुयायियों द्वारा क्रूरतापूर्वक किये जाते रहे बलात्कारों की पीड़ा को स्मरण करने की आवश्यकता नहीं समझी। और आज इतने वर्षों बाद यह सोचने की आवश्यकता भी कोई नहीं समझ रहा कि क्यों ....आख़िर क्यों पाकिस्तान और बांग्लादेश में हिन्दुओं की संख्या निरंतर कम होती जा रही है, वहीं भारत में मुस्लिमों की संख्या निरंतर बढ़ती जा रही है। असंतुलन की यह स्थिति आने वाले समय में भारत के मानचित्र में फिर परिवर्तन की प्रतीक्षा कर रही है। अब प्रश्न यह है कि भारत के मानचित्र में परिवर्तन का यह क्रम कब समाप्त होगा ? कभी समाप्त होगा भी या नहीं? पूर्वांचल के प्रांत ईसाई बहुल हो गये हैं, भारत के कई शहर मुस्लिम बहुल होते जा रहे हैं। ...धर्मांतरण का कुचक्र गतिमान है ...कहीं कोई नियंत्रण नहीं ...कहीं कोई प्रतिबन्ध नहीं। भारत के विभिन्न नगरों में हिन्दुओं पर आक्रमण, भारत की भूमि पर बलात् अधिकार और बलात् धर्मांतरण जैसी घटनायें पड़ोस के विदेशी मुस्लिम आक्रांताओं द्वारा भारत में आज भी हो रही हैं ...जिसका परिणाम् है अभी हाल में हुयी असम हिंसा...जिसकी लपट दूर मुम्बई में भी खूब भड़की। इस्लामिक अनुयायियों के आतंकवाद ने भारत को निरंतर शिकस्त दी है .....भारत में घुस कर भारतीयों का सामूहिक नरसंहार किया है। हिन्दुओं को विचार करना होगा कि विश्व में उनके लिये अब कौन सा ऐसा स्थान है जहाँ वे सुरक्षित रह सकते हैं। क्या हिन्दुओं को आगामी एक सौ वर्षों में ही भारत से पलायन करना पड़ेगा? प्रश्न गम्भीर है ...उपेक्षा करना आत्मघाती होगा।    

स्वतंत्र भारत के समाचार पत्रों में धर्मांतरण के बारे में प्रायः कोई न कोई घटना प्रकाशित होती ही रहती है। पिछले कुछ दिनों से हिन्दू लड़कियों के अपहरण, बलात् धर्मांतरण और उनके साथ मुस्लिमों द्वारा बलात् विवाह करने जैसी घटनाओं की सूचनायें पड़ोसी देश पाकिस्तान से आ रही हैं। पहले तो पाकिस्तान के नुमाइन्दों ने इन सूचनाओं का खण्डन किया पर अब वे भी स्वीकार करने लगे हैं कि पाकिस्तान में हिन्दू लड़कियों का बलात् धर्मांतरण किया जा रहा है। गत् वर्ष 2011 में अल्पसंख्यक समुदाय की दो हज़ार लड़कियों और स्त्रियों को बलात्कार, यातना और अपहरण के माध्यम से इस्लाम का अनुयायी बनने के लिये बाध्य किया गया। कितने अपमान और पीड़ा का विषय है कि प्रताड़ना के हर प्रकरण में स्त्री ही हर किसी के अंतिम लक्ष्य पर होती है। यह कैसा इस्लाम है जो किसी की धार्मिक स्वतंत्रता का न केवल बलात् अपहरण करता है अपितु स्त्रियों के उत्पीड़न की सारी सीमायें लाँघ जाता है?

पाकिस्तान की हर प्रकार की व्यवस्थाओं पर कट्टर इस्लामिक संगठनों के नियंत्रण की स्थिति की भयावहता का प्रमाण है कि अल्पसंख्यक हितों के पक्षधर पाकिस्तानी पंजाब के राज्यपाल सलमान तासीर और केन्द्रीय अल्पसंख्यक मंत्री शाहबाज़ भट्टी की 2011 में हत्या कर दी गयी।

इधर पाकिस्तान से प्रताड़ित हुये हिन्दुओं के भारत पलायन का क्रम थम नहीं रहा है। धार्मिक वीज़ा लेकर थार एक्सप्रेस से पाकिस्तानी हैदराबाद और सिन्ध से एक सौ एकहत्तर हिन्दू परिवारों ने पलायन कर राजस्थान के जोधपुर नगर में शरणार्थी बनकर अपना डेरा डाल दिया है। वे अब पाकिस्तान वापस नहीं जाना चाहते। कोई अपनी जन्म भूमि छोड़कर पलायन क्यों करता है? यह चिंतनीय विषय है। यह लेख लिखते समय मैं स्वीकार करता हूँ कि हर मुसलमान क्रूर और आतंकवादी नहीं होता ....मानवीय संवेदनाओं और मानव मात्र का हितचिंतन करने वाले मुस्लिमों के प्रति मैं विनम्रता पूर्वक अपना सम्मान प्रकट करता हूँ। तथापि पतन के इस युग में बड़ी ही विनम्रतापूर्वक मैं इस बात का भी प्रबल पक्षधर हूँ कि इस्लाम के नाम पर हो रहे अत्याचारों और अमानवीय कृत्यों को अंकुश में रखने के लिये एक ऐसी विश्वनीति बनायी जानी चाहिये जो धर्मांतरण को घोर आपराधिक कृत्य घोषित करे। विश्व के किसी भी देश या समुदाय में धर्मांतरण एक घोर अपराध स्वीकार किया जाना ही चाहिये। ध्यान रहे ...धर्मांतरण का अपराध राष्ट्रद्रोह का अपराध है।  

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