शनिवार, 21 जनवरी 2017

पहाड़ मनुवादी हैं




हमें पहाड़ों से शिक़ायत है...
कि सारी वर्फ़
और ख़ूबसूरती पर
उन्होंने सदियों से क़ब्ज़ा कर रखा है
गहरी घाटियों को
इन सबसे वंचित रखा है  
ये मनमानी ना-क़ाबिले बर्दाश्त है  
यह पहाड़ों की मनुवादिता है  
हम कसम खाते हैं
कि कैलाश की बर्फ़ लाकर
घाटियों में डाल देंगे
और घाटियों के आगे
साइन बोर्ड पर उनका नाम लिख देंगे 
-"पहाड़"
हमारा वादा है
कि ये दुनिया के सबसे ऊँचे "पहाड़" होंगे...
एवरेस्ट से भी ऊँचे ।

1 टिप्पणी:

टिप्पणियाँ हैं तो विमर्श है ...विमर्श है तो परिमार्जन का मार्ग प्रशस्त है .........परिमार्जन है तो उत्कृष्टता है .....और इसी में तो लेखन की सार्थकता है.