tag:blogger.com,1999:blog-8311087627766487257.post4542565169677797926..comments2023-10-24T13:31:43.875+05:30Comments on बस्तर की अभिव्यक्ति -जैसे कोई झरना....: बस्तर की अभिव्यक्ति जैसे कोई झरनाhttp://www.blogger.com/profile/11751508655295186269noreply@blogger.comBlogger6125tag:blogger.com,1999:blog-8311087627766487257.post-38849768586976538622011-08-21T12:53:10.290+05:302011-08-21T12:53:10.290+05:30आपकी इस कविता से अपनी शुरूआती कविता की कुछ पंक्तिय...आपकी इस कविता से अपनी शुरूआती कविता की कुछ पंक्तियाँ याद आ गई ...<br /><br />दूर कहीं पपीहा बोले .....<br />कानों में मधुर रस घोले ...<br /><br />सावन की आई ठंडी फुहार<br />लाई मोरे जियरा में खुमार<br />झुनक-झुनक पैजनियाँ बोले<br />दूर कहीं पपीहा बोले .....<br /><br />और दो गरमागरम प्रविष्टियों के बाद सावन की झड़ी सुहानी लगी<br />कमाल की सांस्कृतिक रचना है डॉक्टर साहब......!! <br /><br />:))हरकीरत ' हीर'https://www.blogger.com/profile/09462263786489609976noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8311087627766487257.post-32174483236391172472011-08-19T23:42:24.106+05:302011-08-19T23:42:24.106+05:30कमाल की सांस्कृतिक रचना है डॉक्टर साहब!! एकदम वर्त...कमाल की सांस्कृतिक रचना है डॉक्टर साहब!! एकदम वर्त्तमान से अतीत में ले गए आप!!चला बिहारी ब्लॉगर बननेhttps://www.blogger.com/profile/05849469885059634620noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8311087627766487257.post-73319368791207508082011-08-19T21:26:59.482+05:302011-08-19T21:26:59.482+05:30मेरी ताज़ा रचना भी आपकी प्रतिक्रिया की राह देख रही...मेरी ताज़ा रचना भी आपकी प्रतिक्रिया की राह देख रही है-<br /><b><a href="http://shabdswarrang.blogspot.com/" rel="nofollow"><br />मेरी ख़िदमत के लिए मैंने बनाया ख़ुद इसे<br />घर का जबरन् बन गया मालिक ; जो चौकीदार है<br /><br />काग़जी था शेर कल , अब भेड़िया ख़ूंख़्वार है <br />मेरी ग़लती का नतीज़ा ; ये मेरी सरकार है </a></b> <br />समय निकाल कर पूरी रचना पढ़ने आइएगा …Rajendra Swarnkar : राजेन्द्र स्वर्णकारhttps://www.blogger.com/profile/18171190884124808971noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8311087627766487257.post-1715490846932308172011-08-19T21:24:56.108+05:302011-08-19T21:24:56.108+05:30डॉक्टर साहब
दो गरमागरम प्रविष्टियों के बाद स...<b>डॉक्टर साहब </b> <br /><br />दो गरमागरम प्रविष्टियों के बाद सावन की झड़ी सुहानी लगी है … :) <br /><b> सबहिं कहत सखि सावन आये<br />पुलकित मन, तन खिल-खिल जाए</b> <br />अति सुंदर ! मनभावन ! बधाई इस रचना के लिए <br /><b> </b> <br /><br /><br />हार्दिक मंगलकामनाओं सहित <br />-राजेन्द्र स्वर्णकारRajendra Swarnkar : राजेन्द्र स्वर्णकारhttps://www.blogger.com/profile/18171190884124808971noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8311087627766487257.post-42160111637815246632011-08-19T20:32:13.696+05:302011-08-19T20:32:13.696+05:30bahot achchi lagi......bahot achchi lagi......mridula pradhanhttps://www.blogger.com/profile/10665142276774311821noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8311087627766487257.post-87921004984039870502011-08-18T23:21:51.782+05:302011-08-18T23:21:51.782+05:30बहुत सुन्दर ..भावप्रवण रचनाबहुत सुन्दर ..भावप्रवण रचनासंगीता स्वरुप ( गीत )https://www.blogger.com/profile/18232011429396479154noreply@blogger.com