tag:blogger.com,1999:blog-8311087627766487257.post4925835490215560788..comments2023-10-24T13:31:43.875+05:30Comments on बस्तर की अभिव्यक्ति -जैसे कोई झरना....: पूत के पाँव ....बस्तर की अभिव्यक्ति जैसे कोई झरनाhttp://www.blogger.com/profile/11751508655295186269noreply@blogger.comBlogger3125tag:blogger.com,1999:blog-8311087627766487257.post-65971120089022513452011-07-11T10:40:34.176+05:302011-07-11T10:40:34.176+05:30सलिल भैया ! बिहार के माथे पर लगा चोरी और भ्रष्टाचा...सलिल भैया ! बिहार के माथे पर लगा चोरी और भ्रष्टाचार का कलंक एक ऐसी विडम्बना है जिसमें पूर्वाग्रह अधिक है. मुझे भी हर जगह बिहार की फर्जी डिग्री के नाम पर बारबार अपमानित होना पडा है. मुम्बई से एम.डी. इसीलिये नहीं कर सका. जबकि महाराष्ट्र, राजस्थान और मध्यप्रदेश की प्रतियोगी परीक्षाओं में प्रथम प्रयास में ही मुझे बेहतरीन स्कोर के साथ सफलता मिली है. मैं आज खुले आम कहता हूँ कि बिहार सबसे अच्छा था और आज भी है. बिहारी छात्रों ने हर जगह...हर प्रांत में अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन किया है. आज छत्तीसगढ़ पूरे देश में भ्रष्टाचार का कैपिटल बन गया है.....वह भी बेलगाम घोड़े की तरह ....बस्तर की अभिव्यक्ति जैसे कोई झरनाhttps://www.blogger.com/profile/11751508655295186269noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8311087627766487257.post-3704993289094422932011-07-10T19:15:25.404+05:302011-07-10T19:15:25.404+05:30कौशलेन्द्र जी, वैसे यदि देखा जाए तो हमारे ज्ञानी प...कौशलेन्द्र जी, वैसे यदि देखा जाए तो हमारे ज्ञानी पूर्वजों ने बहुत पहले जाल-चक्र के 'सत्य' को जान कह दिया था, और हाल में ही महेंद्र कपूर हे शब्दों में भी दोहराया गया, "श्री राम चन्द्र कह गए सिया से कि ऐसा इक दिन आएगा, हंस चुनेगा दाना दुनका/ कव्वा मोती खायेगा"...! जो आपने बयान किया वो 'घोर कलियुग' के प्रतिबिम्ब हैं शायद! जो बिमारी आप देख रहे हैं वो अब हर प्रदेश में फ़ैल चुकी है और 'यथा प्रजा तथा राजा' द्वारा भी गणतंत्र में समझी जा सकती है... मौन मोहन जैसे शरीफ किन्तु लाचार केवल एक मुखौटा समान उपयोग में लाये जा रहे प्रतीत होते हैं...JChttps://www.blogger.com/profile/05374795168555108039noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8311087627766487257.post-69447793374048293722011-07-10T12:27:04.625+05:302011-07-10T12:27:04.625+05:30कौशलेन्द्र जी!
हमारे समय में सभी प्रमुख प्रतियोगित...कौशलेन्द्र जी!<br />हमारे समय में सभी प्रमुख प्रतियोगिता की परीक्षाओं के केन्द्र बिहार से हटा लिए गए थे. जों प्रतिभाशाली छात्र या प्रत्याशी थे वे बेचारे पैसे खर्च करके उ.प्र. या कलकत्ता जाते थे. इन प्रतिबंधों के उपरांत भी बिहार से या बिहार के प्रत्याशियों का प्रतिशत स्थिर रहा... और तो और मुझे भी अपने प्रवास के दौरान कई बार यह उलाहना सुनाने को मिला कि लोग चोरी से डिग्रियां हासिल करके चले आते हैं!!चला बिहारी ब्लॉगर बननेhttps://www.blogger.com/profile/05849469885059634620noreply@blogger.com