tag:blogger.com,1999:blog-8311087627766487257.post1592779195845555366..comments2023-10-24T13:31:43.875+05:30Comments on बस्तर की अभिव्यक्ति -जैसे कोई झरना....: .......और काम कर गयी मैकाले की धमकीबस्तर की अभिव्यक्ति जैसे कोई झरनाhttp://www.blogger.com/profile/11751508655295186269noreply@blogger.comBlogger22125tag:blogger.com,1999:blog-8311087627766487257.post-46116440200411228362020-05-17T19:26:51.824+05:302020-05-17T19:26:51.824+05:30Aap sahi bol rh ho aaj humari haalat eshe kr diye ...Aap sahi bol rh ho aaj humari haalat eshe kr diye gaye ki hum chah kr bhi nirod nh kr pate aaj hum jo sikhsha prapt kr rh hai bo bebuniyad hai esh se sirf desh me bhrastachari ko hi badava diya ja skta hai aaj hume jagna hoga jo itne saalo se nh jage mekole to bharat pr raj kr tha eshliye apni shikhsha ko badava diya pr hume huamari purani sikhsha ko apnana hoga esh se desh ka kalyan hoga jai hind jai bharat <br /><br />Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/12472461400216813969noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8311087627766487257.post-17157697500863145892020-04-22T00:01:46.117+05:302020-04-22T00:01:46.117+05:30मैं बिल्कुल सहमत नहीं हूँ । मैं बिल्कुल सहमत नहीं हूँ । बस्तर की अभिव्यक्ति जैसे कोई झरनाhttps://www.blogger.com/profile/11751508655295186269noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8311087627766487257.post-6213849483760690092020-04-21T23:59:41.205+05:302020-04-21T23:59:41.205+05:30भारतीय जीवनशैली अब और अधिक उपेक्षित नहीं रह सकेगी ...भारतीय जीवनशैली अब और अधिक उपेक्षित नहीं रह सकेगी । कोरोना सबको सिखा देगा, जो नहीं सीखेंगे उन्हें अपने हठ का मूल्य चुकाना होगा । प्रकृति के दण्ड से कोई बच नहीं पाता । <br />अच्छा लगा यह जानकर कि आप एक थियेटर आर्टिस्ट हैं और कलियरि पट्टु जैसी दुर्लभ कला में निष्णात हैं । कला हमें प्रकृति और ईश्वर के समीप ले जाती है । मेरी मङ्गलकामनाएँ ! कल्याणमस्तु ! यशस्वी भव ! बस्तर की अभिव्यक्ति जैसे कोई झरनाhttps://www.blogger.com/profile/11751508655295186269noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8311087627766487257.post-18783872595224967472020-04-21T11:31:07.977+05:302020-04-21T11:31:07.977+05:30 मैकाले के बारे में लंबे समय से सुनते आ रही हूं और... मैकाले के बारे में लंबे समय से सुनते आ रही हूं और इस कोरोना युग में सेकंड लॉक डाउन के समय देश में जो कुछ हो रहा है उससे बेहद क्षुब्ध और बिगड़ते माहौल को लेकर दुखी हूं ,मैकाले ने जो काम भारत के साथ पूर्व में किया कहीं ना कहीं वही काम भारत के मुसलमानों के साथ वर्तमान सरकार या हम हिंदू कर रहे हैं मैकाले ने अपनी शिक्षा व्यवस्था थोपने के लिए बहुजन समाज का को हथियार बनाया और वह दिन दूर नहीं जब गल्फ कंट्रीज के उलेमा और मुसलमान वजीर ए आजम भारत के मुसलमानों को अपना सानिध्य देकर भारत के ही खिलाफ भड़काएंगे और ऐसा हो भी क्यों ना जब उनके ही घर में उनको तिरस्कृत किया जा रहा है ।<br />Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/15068304078515441011noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8311087627766487257.post-9462209184648921462020-04-19T16:51:06.416+05:302020-04-19T16:51:06.416+05:30मै एक थिएटर आर्टिस्ट हूँ मेरे मन में बहुत से सवाल...मै एक थिएटर आर्टिस्ट हूँ मेरे मन में बहुत से सवाल थे की ये ऐसा कैसे क्यों हो रहा है क्या सब कुछ अंत के करीब है और मुझे सबसे ज्यादा स्कूल के इस सिस्टम से तकलीफ थी हमेशा से ही मुझे हमेशा यही लगा की कुछ कमी है फिर ग्रेजुएशन के बाद केरल चला गया गुरुकुल में पढनें के लिए वहा जाकर कलरी पयाट्टू जो की पहला मार्शलआर्ट फॉर्म है वहां रहकर कुड़ीअट्टम और कथकली का प्रशिक्षण लिया उसके बाद कर्नाटका चला गया और ऐसे ही पूरी इंडिया में जहाँ भी गुरुकुल है समय के अनुसार मै गया मुझे ये समझ नही आ रहा था की यहाँ सब कुछ होने इ बावज़ूद वेस्टर्न कल्चर को फॉलो क्यों करते है कई लोग मेरे धोती पहन कर घुमने से हस्ते थे और कहते नही थे कि नाटक कर रहा है कुछ काम नही है उसी दौरान मैकाले के बारे में मेरे बड़े भईया से पता चला तो पढना शुरू किया मैनें अभी मैकाले के बारे में ही पढ़ रहा हूँ सर बहुत ख़ुशी हुई ये पढ़ कर आपका बहुत बहुत धन्यवाद सर Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/03014165358583427531noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8311087627766487257.post-5643133898404548992017-10-21T09:20:19.481+05:302017-10-21T09:20:19.481+05:30माकाले देश भक्त था !ईगंलैनड का! मैकाले ने वही कीया...माकाले देश भक्त था !ईगंलैनड का! मैकाले ने वही कीया जो उसे निर्देश दिया गया था!वह देश भक्ति था का परिचय दिया था उससे हम देश वासिवो को सीखना चाहीए बजाए आपस मे लरने की! Kumari Yasshvihttps://www.blogger.com/profile/16990447802881654657noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8311087627766487257.post-59258669256825843802017-10-16T00:55:13.820+05:302017-10-16T00:55:13.820+05:30अख़बार में ऐसे लेख भेजे थे, किसी ने भी प्रकाशित नही...अख़बार में ऐसे लेख भेजे थे, किसी ने भी प्रकाशित नहीं किए । बस्तर की अभिव्यक्ति जैसे कोई झरनाhttps://www.blogger.com/profile/11751508655295186269noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8311087627766487257.post-18619324157450781522017-10-14T20:29:38.270+05:302017-10-14T20:29:38.270+05:30मूल्य बदलें नहीं... बदल दिये गए हैं... शिक्षा ने ह...मूल्य बदलें नहीं... बदल दिये गए हैं... शिक्षा ने ही... और सरकारों ने ही... Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/07010771673515042755noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8311087627766487257.post-57567959152357136042017-10-14T20:28:01.637+05:302017-10-14T20:28:01.637+05:30जी... आप अख़बारआदि में जन-जागृति हेतु इस से संबन्धि...जी... आप अख़बारआदि में जन-जागृति हेतु इस से संबन्धित कुछ लिखतीं क्यूँ नहीं है.. दरअसल आम हिंदुस्तानियों को इस बात का किंचित मात्र भी ईल्म नहीं है कि किसी के द्वारा या अंग्रेज़ों के द्वारा या थॉमस बैबीग्टन मैकोले के द्वारा & मेक्स म्यूलर के द्वारा हमारी शिक्षा-नीति शिक्षा-पद्धति आदि को भ्रष्ट-नष्ट कर दिया है... मेक्स म्यूलर etc ने तो हमारे साहित्य, शास्त्र, इतिहास को आक्षेपित, विक्षेपित किया है... यहाँ तक कि बहुत दस्तावेज़, साहित्य, इतिहास यह लोग नष्ट भी कर चुके है... भारत की शिक्षा व्यवस्था से दिन-ब-दिन भारत किस गर्त में जा रहा है इसका किसी को भी किंचित्र मात्र भी ईल्म नहीं है.... अपने भारत की सभ्यता-संस्कृति दिन-प्रति-दिन भ्रष्ट-नष्ट होतीं जा रहीं हैं... संस्कार कि तो आज कि तारीख़ में बात ही नहीं कर सकता... संस्कारों की बातें करने वाला तो आज अव्वल दर्ज़े का बेवकूफ़ कहलाएगा.... Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/07010771673515042755noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8311087627766487257.post-21000588157637806392017-01-21T17:26:41.188+05:302017-01-21T17:26:41.188+05:30यह कई चरणों में होने वाली एक दीर्घकालीन क्रांति हो...यह कई चरणों में होने वाली एक दीर्घकालीन क्रांति होगी जिसका प्रारम्भ वैचारिक शुद्धता के संकल्प के साथ होगा । शाला में प्रवेश की पात्रता, पाठ्यक्रम, अध्यापन व अध्ययन की प्रक्रिया, मूल्यांकन, औपाधिक निष्ठा एवं आत्मनिर्भरता जैसे चिंतनीय बिंदुओं पर गम्भीर चिंतनोपरांत नयी शिक्षा व्यवस्था स्थापित करनी होगी जिसमें शासन और सत्ता की कोई भूमिका नहीं होगी । बस्तर की अभिव्यक्ति जैसे कोई झरनाhttps://www.blogger.com/profile/11751508655295186269noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8311087627766487257.post-29317465020310184192017-01-21T09:39:05.702+05:302017-01-21T09:39:05.702+05:30शैक्षणिक क्रान्ति लाने हेतु कोई ठोस उपाय सुझाने की...शैक्षणिक क्रान्ति लाने हेतु कोई ठोस उपाय सुझाने की कृपा <br />करेंSureshhttps://www.blogger.com/profile/04940510385938292854noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8311087627766487257.post-53930429284056776882011-11-15T14:15:47.052+05:302011-11-15T14:15:47.052+05:30हमारे लिए यह बड़ी ख़ुशी की बात है की बात है की हम...हमारे लिए यह बड़ी ख़ुशी की बात है की बात है की हमारा देश इतना समर्द्ध था. हम लोगो को आज जग जाना चाहिए वरना इसके बड़े भयंकर परिणाम भुगतने पद सकते है/bharat goelhttps://www.blogger.com/profile/00267706443799996884noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8311087627766487257.post-81424765826561651792011-04-04T08:34:01.562+05:302011-04-04T08:34:01.562+05:30इतिहासकारों के माध्यम से हम यह तो जान लेते हैं कि ...इतिहासकारों के माध्यम से हम यह तो जान लेते हैं कि भारत कभी एक खुशहाल देश था,,, जो आज वैसा नहीं रहा (समय के प्रभाव से? क्यूंकि "परिवर्तन प्रकृति का नियम है" और प्राचीन हिन्दुओं के अनुसार 'काल चक्र' मुद्रिका रेल अथवा बस के समान सतयुग से कलियुग की ओर घूमता है,,, और एक महायुग के पश्चात ही फिर एक नया सतयुग आ जाता है ,,, ऐसा भी कुछ लोग जानते हैं और इस कारण आशा करते हैं सब ठीक होगा 'सही समय' आने पर)...JChttps://www.blogger.com/profile/05374795168555108039noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8311087627766487257.post-57052996946316191472011-04-03T21:57:01.429+05:302011-04-03T21:57:01.429+05:30इस लेख को पढ़कर सबसे ज्यादा मैं खुश हुआ...
मैने का...इस लेख को पढ़कर सबसे ज्यादा मैं खुश हुआ...<br />मैने काफी ढूंढा था इस मैकाले की व्योस्था परिवर्तन को अंतर्जाल पर ज्यादा नहीं पा सका अब काफी कुछ मिल गया ..<br />बिलकुल सत्य है...लेकिन हमें ये भी सोचना चाहिए की मैकाले ने जो विचार इतने सालो पहले किया था उसका परीशोधन हम अब तक नहीं कर सके..<br />.............<br />सुन्दर रचनाआशुतोष की कलमhttps://www.blogger.com/profile/05182428076588668769noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8311087627766487257.post-65312506563555068152011-04-03T10:26:10.145+05:302011-04-03T10:26:10.145+05:30यदि अपनी प्राचीन गौरवशाली परम्परा के साथ कल्याणकार...यदि अपनी प्राचीन गौरवशाली परम्परा के साथ कल्याणकारी श्रेयस्कर जीवन की चाह है तो शासन का मुंह देखे बिना स्वयं उसे ही आगे आना होगा ...एक सर्व कल्याणकारी शैक्षणिक क्रान्ति के लिए । ....<br /><br />बहुत सुन्दर बात कही आपने । सार्थक आलेख । <br /><br />.ZEALhttps://www.blogger.com/profile/04046257625059781313noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8311087627766487257.post-90451012580054022492011-04-02T14:47:21.644+05:302011-04-02T14:47:21.644+05:30कौशलेन्द्र जी साहित्य में भले ही कोलोनियलिस्म के ब...कौशलेन्द्र जी साहित्य में भले ही कोलोनियलिस्म के बाद पोस्ट कोलोनियलिस्म आ गया हो पर क्या हम आज तक इस कोलोनाइज़ेशन से मुक्त हो सके हैं....?.....किसी भी देश की अगर जड़ें कमजोर कर डालनी हो,.....लोगों के सोचने-विचारने की दिशा ही बदल डालनी हो,......उन्हें अपने तरीके से सोचने पर मजबूर कर देना हो तो इसे अंजाम देने की पहली सीढ़ी है उस देश के लोगों को दिया जाने वाला शिक्षण......और मैकाले यह बात बहुत अच्छे से जानता था.........वह सफल रहा और आज तक सफल है.......हर साल देश में लाखों की संख्या में डिग्रीधारी ,विचारशून्य,लक्ष्यहीन नवयुवकों की फौज तैयार हो जाती है.....सरकार से,शासन से कोई उम्मीद रखना व्यर्थ है.......चिंगारियाँ तो उठ ही रही हैं.......एक दिन शोले जरूर भड़्केगें.....मालिनी गौतमhttps://www.blogger.com/profile/13479031445513404304noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8311087627766487257.post-44397917680020900422011-04-02T13:27:06.518+05:302011-04-02T13:27:06.518+05:30baba,,,mujhe bahut garv mehsus ho rhaa he..aapka l...baba,,,mujhe bahut garv mehsus ho rhaa he..aapka lekh pr ke........iske liye bahut bahut dhanywaad.........VenuS "ज़ोया"https://www.blogger.com/profile/03536990933468056653noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8311087627766487257.post-14620001646676785562011-04-02T13:13:40.450+05:302011-04-02T13:13:40.450+05:30बाबा जी ! ॐ नमोनारायण ! ! ! भारतीय दर्शन में आप्त ...बाबा जी ! ॐ नमोनारायण ! ! ! भारतीय दर्शन में आप्त वचन और ऐतिह्य विवरणों को भी प्रमाण स्वीकार किया गया है. आज मॉडर्न ह्यूमन फिजियोलोजी में हम जो भी पढ़ते हैं उसे बिना प्रत्यक्ष दर्शन के ही एवं आप्तवचन न होते हुए भी सत्य स्वीकार कर लेते हैं जबकि बहुत से सिद्धांत अभी भी अनुमान के आधार पर ही मान्य व प्रचलित हैं. निरंतर हो रहे शोधों में इन्हीं का खंडन-मंडन होता रहता है.<br />@ संजय जी ! शैक्षणिक क्रांति तो हो कर रहेगी ...समय कितना भी लग जाय ...क्यों कि कुछ चीजें ऐसी हैं जिन्हें होना ही है उन्हें रोका नहीं जा सकता.<br />@ मनोज जी ! धर्मपाल जी की पुस्तक में और भी रोचक व आश्चर्यजनक जानकारियाँ हैं जो अंग्रेजों द्वारा ही लिखी गयी हैं, धर्मपाल जी ने तो उनका यत्न पूर्वक संकलन ही किया है, यह पुस्तक हमारे भारतीय गौरव का वास्तविक इतिहास है जिसे हर भारतीय को पढ़ना चाहिए. <br />@ डाक्टर शरद जी ! आप उत्साहपूर्वक ब्लॉग का अवलोकन करती हैं .....धन्यवाद.बस्तर की अभिव्यक्ति जैसे कोई झरनाhttps://www.blogger.com/profile/11751508655295186269noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8311087627766487257.post-62031336580522285242011-04-02T10:36:39.930+05:302011-04-02T10:36:39.930+05:30अंग्रेज़ यानि 'पश्चिम' के गोरों के बस का न...अंग्रेज़ यानि 'पश्चिम' के गोरों के बस का नहीं था, न होगा शायद कभी (वर्तमान हिन्दू के भी?), समझ पाना कि 'हिंदु' मूर्ती-पूजक क्यूं हैं, भले ही वो परंपरा वश ही क्यूँ न हो ?! और उन्होंने मानव को भी 'माटी का पुतला' क्यूँ कहा या माना?! <br />कोई 'जन्म से हिन्दू' भी आज कहेगा कि जब अनेक-डिग्री-प्राप्त-डॉक्टर कहता है कि हर ४ घंटे में ३ फलां-फलां गोली खानी है तो हम साधारणतया प्रश्न नहीं करते (अज्ञानतावश?),,, और उसका अनुपालन भक्ति भाव से करते हैं,,,उसी प्रकार जब हमारे पहुंचे हुए गुरु लोगों को हमने जिस विधि-विधान से पूजा आदि करते पाया तो हम, समयाभाव के कारण, बिना प्रश्न किये, उनकी नक़ल करते चले आ रहे हैं,,,किन्तु इससे मना नहीं कर सकते कि केवल ऐसा करने से भी कुछ न कुछ मानसिक शांति तो मिलती है ही! <br />'रामलीला' में, यदि कुबड़ी दासी मंथरा न होती, या उसकी बुद्धि न मारी जाती, तो राम का बनवास न होता ,,,और बनवास के समय लक्ष्मण सूर्पणखा की नाक नहीं काटता तो सीता हरण न होता, और न लंका दहन,,,और अंततोगत्वा रावण बध! ...JChttps://www.blogger.com/profile/05374795168555108039noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8311087627766487257.post-63380618847489296672011-04-02T00:17:15.533+05:302011-04-02T00:17:15.533+05:30महत्वपूर्ण विषय। शैक्षणिक क्रांति की आवश्यकता है ल...महत्वपूर्ण विषय। शैक्षणिक क्रांति की आवश्यकता है लेकिन दुखद बात ये है कि इसके आसार नहीं दिखते।<br />मूल्य बदल गये हैं।संजय @ मो सम कौन...https://www.blogger.com/profile/14228941174553930859noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8311087627766487257.post-57908212485507294162011-04-01T23:30:15.500+05:302011-04-01T23:30:15.500+05:30अत्यंत तथ्यपरक एवं सारगर्भित लेख के लिये बहुत बहुत...अत्यंत तथ्यपरक एवं सारगर्भित लेख के लिये बहुत बहुत आभार !Dr (Miss) Sharad Singhhttps://www.blogger.com/profile/00238358286364572931noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8311087627766487257.post-29668441957195912372011-04-01T22:43:37.841+05:302011-04-01T22:43:37.841+05:30रोचक जानकारी।रोचक जानकारी।मनोज कुमारhttps://www.blogger.com/profile/08566976083330111264noreply@blogger.com