tag:blogger.com,1999:blog-8311087627766487257.post3980179288465830668..comments2023-10-24T13:31:43.875+05:30Comments on बस्तर की अभिव्यक्ति -जैसे कोई झरना....: भागते शहर का ठहरावबस्तर की अभिव्यक्ति जैसे कोई झरनाhttp://www.blogger.com/profile/11751508655295186269noreply@blogger.comBlogger12125tag:blogger.com,1999:blog-8311087627766487257.post-91382584006481307612012-08-03T21:16:39.560+05:302012-08-03T21:16:39.560+05:30बहुत ही सही कहा आपने ...
जब विवेक ठहर जाता है
तब ...बहुत ही सही कहा आपने ...<br /><br />जब विवेक ठहर जाता है<br />तब कभी नादिर शाह आता है, कभी चंगेज़ ख़ान तो कभी कसाब।<br /><br />सारी तस्वीरें काफी सुंदर और साथ में जुड़ी सार्थक पंक्तियाँ इनमें चार चाँद लगा रही हैं !<br />साभार !शिवनाथ कुमारhttps://www.blogger.com/profile/02984719301812684420noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8311087627766487257.post-79185556231673683472012-08-03T20:06:09.465+05:302012-08-03T20:06:09.465+05:30स्वागत है आपका मिश्र जी !स्वागत है आपका मिश्र जी !बस्तर की अभिव्यक्ति जैसे कोई झरनाhttps://www.blogger.com/profile/11751508655295186269noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8311087627766487257.post-86851497694975272672012-08-03T20:04:22.573+05:302012-08-03T20:04:22.573+05:30सुशील जी! बस्तर की अभिव्यक्ति में आपके प्रथम आगमन ...सुशील जी! बस्तर की अभिव्यक्ति में आपके प्रथम आगमन पर आपका हार्दिक स्वागत है।बस्तर की अभिव्यक्ति जैसे कोई झरनाhttps://www.blogger.com/profile/11751508655295186269noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8311087627766487257.post-58118533985145435362012-08-03T15:35:09.125+05:302012-08-03T15:35:09.125+05:30खूबसूरत चित्रों के साथ कविता की जुगलबंदी... वाह! अ...खूबसूरत चित्रों के साथ कविता की जुगलबंदी... वाह! अद्भुत... <br />सादर।S.M.HABIB (Sanjay Mishra 'Habib')https://www.blogger.com/profile/10992209593666997359noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8311087627766487257.post-73313715151959304022012-08-03T09:33:37.884+05:302012-08-03T09:33:37.884+05:30सागर की लहरे नहीं, होती हैं गम्भीर।
महाराष्ट्र में...सागर की लहरे नहीं, होती हैं गम्भीर।<br />महाराष्ट्र में हुए हैं, कितने ही रणधीर।।<br />--डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'https://www.blogger.com/profile/09313147050002054907noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8311087627766487257.post-62667040848826606392012-08-03T09:06:36.815+05:302012-08-03T09:06:36.815+05:30बहुत सुंदर !
कहीं संदेश है तो बस पानी का
कहीं लहरे...बहुत सुंदर !<br />कहीं संदेश है तो बस पानी का<br />कहीं लहरें कुछ बातें करती हैं<br />शहर के शोर की कौन सोचे<br />अपने अपने शोरों से ही <br />बहरे हो चुके हों जब लोग <br />अब उनकी बातें ही बस<br />कुछ बातें करती हैं !सुशील कुमार जोशीhttps://www.blogger.com/profile/09743123028689531714noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8311087627766487257.post-50188021758751269602012-08-03T00:42:08.399+05:302012-08-03T00:42:08.399+05:30अनु जी! बहुत-बहुत धन्यवाद!
"...कवितायें ही ल...अनु जी! बहुत-बहुत धन्यवाद! <br />"...कवितायें ही लिखा करें .." <br />संकेत समझ रहा हूँ :) <br />हरकीरत हीर जी कहती हैं कि मुझे कहानी लिखनी चाहिये ....आप कहती हैं कि मुझे कवितायें ही लिखनी चाहिये। <br />चलिये न! एक आयोग गठित कर लिया जाय, वही तय करेगा कि मुझे क्या लिखना चाहिये। मैं हीर जी को भी ख़बर किये देता हूँ .....आयोग का अध्यक्ष कौन बनेगा यह आप दोनों को ही तय करना पड़ेगा। :)बस्तर की अभिव्यक्ति जैसे कोई झरनाhttps://www.blogger.com/profile/11751508655295186269noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8311087627766487257.post-79646504126174527212012-08-03T00:36:00.579+05:302012-08-03T00:36:00.579+05:30तो दोनो कवितायें पढ़ने से हमें वंचित क्यों रखा गया ...तो दोनो कवितायें पढ़ने से हमें वंचित क्यों रखा गया है अभी तक? हम कउनो गुनाह किये हैं का? <br />मैं बहुत ख़ुश हूँ यह जानकर कि कविता के ज़ींस इन्हेरिट हुये हैं आपकी अगली पीढ़ी में। यह परम्परा चलती रहे इसके लिये शुभकामनायें। <br />भारत के कई शहरों में जाने का अवसर मिला है पर मुम्बई कभी मुझे अपरिचित सा नहीं लगा। <br />ये है मुम्बई मेरी जां ..... बात निराली है मुम्बई की।बस्तर की अभिव्यक्ति जैसे कोई झरनाhttps://www.blogger.com/profile/11751508655295186269noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8311087627766487257.post-29861998353128932552012-08-02T23:15:30.789+05:302012-08-02T23:15:30.789+05:30बहुत सुन्दर............
सागर
रेत पर छोड़ गया है अपन...बहुत सुन्दर............<br />सागर<br />रेत पर छोड़ गया है अपने पद चिन्ह<br />ऐ! नदी!<br />तुम भटक मत जाना <br /><br />लाजवाब.........आप कविताएं ही लिखा करें..<br /><br />अनुANULATA RAJ NAIRhttps://www.blogger.com/profile/02386833556494189702noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8311087627766487257.post-37127546632325093122012-08-02T21:09:39.059+05:302012-08-02T21:09:39.059+05:30डॉक्टर साहब! मैंने इस विषय पर एक लंबी कविता लिखी थ...डॉक्टर साहब! मैंने इस विषय पर एक लंबी कविता लिखी थी और मेरे बेटे ने भी अलग से एक कविता लिखी थी.. मुम्बई आज भी मेरे लिए ड्रीम सिटी है... मगर अब शायद मौक़ा ना मिले वहाँ काम करने का.. मगर जितना भी समय यहां बिताया, ज़िंदगी को पास पाया!! <br />लेकिन आपके कैमरे की नज़र सचमुच जादू का असर पैदा करती है!! मुग्ध करती है, चमत्कृत करती है!!चला बिहारी ब्लॉगर बननेhttps://www.blogger.com/profile/05849469885059634620noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8311087627766487257.post-67953712154647828172012-08-02T10:24:58.876+05:302012-08-02T10:24:58.876+05:30अलग अंदाज की प्रस्तुति के लिए बधाई,,,,,
रक्षाबँधन...अलग अंदाज की प्रस्तुति के लिए बधाई,,,,,<br /><br />रक्षाबँधन की हार्दिक शुभकामनाए,,,<br />RECENT POST <a href="http://dheerendra11.blogspot.in/2012/08/blog-post.html" rel="nofollow">...: रक्षा का बंधन,,,,</a>धीरेन्द्र सिंह भदौरिया https://www.blogger.com/profile/09047336871751054497noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8311087627766487257.post-72916016412407484382012-08-02T10:07:33.550+05:302012-08-02T10:07:33.550+05:30आपका अंदाज़ ए बयां सच मे अलग ही है !
ब्लॉग बुलेटिन...आपका अंदाज़ ए बयां सच मे अलग ही है !<br /><br />ब्लॉग बुलेटिन की पूरी टीम की ओर से आप सभी को रक्षाबंधन के इस पावन अवसर पर बहुत बहुत हार्दिक बधाइयाँ और शुभकामनाये | <a href="http://bulletinofblog.blogspot.in/2012/08/blog-post.html" rel="nofollow">आपके इस खूबसूरत पोस्ट का एक कतरा हमने सहेज लिया है, एक आध्यात्मिक बंधन :- रक्षाबंधन - ब्लॉग बुलेटिन, के लिए, पाठक आपकी पोस्टों तक पहुंचें और आप उनकी पोस्टों तक, यही उद्देश्य है हमारा, उम्मीद है आपको निराशा नहीं होगी, टिप्पणी पर क्लिक करें और देखें … धन्यवाद ! </a>शिवम् मिश्राhttps://www.blogger.com/profile/07241309587790633372noreply@blogger.com