tag:blogger.com,1999:blog-8311087627766487257.post5911143202326103946..comments2023-10-24T13:31:43.875+05:30Comments on बस्तर की अभिव्यक्ति -जैसे कोई झरना....: नहीं लौटाना चाहता कुछ चीजेंबस्तर की अभिव्यक्ति जैसे कोई झरनाhttp://www.blogger.com/profile/11751508655295186269noreply@blogger.comBlogger2125tag:blogger.com,1999:blog-8311087627766487257.post-6265091674546359152011-01-07T19:49:36.836+05:302011-01-07T19:49:36.836+05:30आदरणीया "हीर" जी ! मुझे नहीं पता यह कवि...आदरणीया "हीर" जी ! मुझे नहीं पता यह कविता है भी या नहीं ...पर इसके शब्दों नें आपके मन को स्पर्श किया.....मुझे ईनाम मिल गया .......और आपकी अनमोल दुआ भी ....हाँ ! टिप्पणी के लिए धन्यवाद तो आपको भी नहीं दूंगा ....नाराज़ मत होइएगा. मैं ऐसा ही हूँ.बस्तर की अभिव्यक्ति जैसे कोई झरनाhttps://www.blogger.com/profile/11751508655295186269noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8311087627766487257.post-2543075857410891842011-01-06T13:21:25.067+05:302011-01-06T13:21:25.067+05:30तुम्हारी भेजी टोकरी में रखे फूलों नें
हंस-हंस कर....तुम्हारी भेजी टोकरी में रखे फूलों नें <br />हंस-हंस कर.....गा-गा कर <br />सारा हाल सुना दिया है तुम्हारा .<br /><br />दुआ है आपको ऐसी टोकरियाँ मिलती रहे ......<br /><br />धन्यवाद नहीं दूंगा तुम्हें <br />पता है क्यों .........?<br />मुझे लगता है <br />यह औपचारिकता तो उनके लिए है <br />ज़ो बढ़ जाना चाहते हैं आगे ..... <br />हिसाब चुकता करके<br /><br />सच्च है जहां अपनापन हो ..इन औपचारिकताओं की जरुरत नहीं होती .....<br />बहुत अच्छी कविता ....<br />दिल से निकले शब्द .....हरकीरत ' हीर'https://www.blogger.com/profile/09462263786489609976noreply@blogger.com