देश की सम्प्रभुता पर आक्रमण होता है। आक्रमणकारी को दण्ड दिया जाता है। दण्ड से देश के लोग आक्रोशित होते हैं।
यह कैसा देश है? ये कौन लोग हैं जो भारतीय संसद के आक्रमणकारी को मृत्युदण्ड दिये जाने पर क्रोधित हो रहे हैं?
यह एक सपष्ट संकेत है कि कुछ लोग पृथक होना चाहते हैं। उन्हें भारत के प्रति निष्ठा नहीं है। परंतु क्यों नहीं है निष्ठा? यह भी एक ज्वलंत प्रश्न है।
राजनीतिक महत्वाकांक्षाओं ने कश्मीर को विवादित बना दिया। दूरदर्शिता के अभाव ने देश को खण्डित किया। खण्डन की प्रक्रिया अभी थमी नहीं है। भ्रष्टाचार, नैतिक पतन, प्रशासनिक अक्षमता और संवेदनहीनता ने देश को एक ऐसी अराजक स्थिति में झोंक दिया है जिसका परिणाम भारतीय लोकतंत्र को कबीला तंत्र में बदल देगा। भारत का आदर्शपूर्ण गौरव समाप्तप्राय है। भारतीय उपमहाद्वीप अशांत है, पाकिस्तान और अफ़गानिस्तान जल रहे हैं, भारत और बांग्ला देश सुलग रहे हैं।
अशांति धरती के भीतर भी है और धरती के ऊपर भी। टेक्टोनिक प्लेट्स किसी बड़ी उथल-पुथल की तैयारी में हैं। आने वाले एक हज़ार वर्ष पूरे विश्व और धरती के लिये उथल-पुथल भरे होंगे। इस उथल-पुथल में धरती करवट बदलेगी, महाद्वीपों के आकार-प्रकार में परिवर्तन होंगे। मानवीय अत्याचारों के कारण देश की सीमायें बदलेंगी, राजनीतिक परिदृष्य बदलेंगे। भारी क्षति के पश्चात् भारतीय उपमहाद्वीप एकता के सूत्र में बंधेगा। सत्यमेव जयते का आदर्श एक बार फिर अस्तित्व में आयेगा। किंतु इस बीच .........कितना पाप हो चुका होगा......।
राजनीतिक महत्वाकांक्षाओं ने कश्मीर को विवादित बना दिया। दूरदर्शिता के अभाव ने देश को खण्डित किया। खण्डन की प्रक्रिया अभी थमी नहीं है। भ्रष्टाचार, नैतिक पतन, प्रशासनिक अक्षमता और संवेदनहीनता ने देश को एक ऐसी अराजक स्थिति में झोंक दिया है जिसका परिणाम भारतीय लोकतंत्र को कबीला तंत्र में बदल देगा। भारत का आदर्शपूर्ण गौरव समाप्तप्राय है। भारतीय उपमहाद्वीप अशांत है, पाकिस्तान और अफ़गानिस्तान जल रहे हैं, भारत और बांग्ला देश सुलग रहे हैं।
अशांति धरती के भीतर भी है और धरती के ऊपर भी। टेक्टोनिक प्लेट्स किसी बड़ी उथल-पुथल की तैयारी में हैं। आने वाले एक हज़ार वर्ष पूरे विश्व और धरती के लिये उथल-पुथल भरे होंगे। इस उथल-पुथल में धरती करवट बदलेगी, महाद्वीपों के आकार-प्रकार में परिवर्तन होंगे। मानवीय अत्याचारों के कारण देश की सीमायें बदलेंगी, राजनीतिक परिदृष्य बदलेंगे। भारी क्षति के पश्चात् भारतीय उपमहाद्वीप एकता के सूत्र में बंधेगा। सत्यमेव जयते का आदर्श एक बार फिर अस्तित्व में आयेगा। किंतु इस बीच .........कितना पाप हो चुका होगा......।
आशाये साथ होंगी और कर्मपथ पर चलते जाना होगा
जवाब देंहटाएंहमारे पूर्वज शायद इसे ही कलियुग कह्गये हैं
साभार
सुना है
जवाब देंहटाएंमोहब्बत को नींद नहीं आती कभी,
जागती है रात-दिन|
सोते हुए जिस्मों पर
उसे पहरा जो देना है|
२
बढ़ती रही तड़प
खोयी रहीं आँखे|
कौन हारा कौन जीता
मुझे क्या पता,
इस बीच
वो अमर हो गयी|
लोग कहते हैं
कि वही तो मोहब्बत थी|
३-
हमने नज़्म लिखी
तुमने भी लिखी
उसने भी लिखी|
झूठ!
नज़्म कोइ लिख ही नहीं सकता|
मोहब्बत से बेहतर
भला कोइ हो सकती है नज़्म
जो लिखी नहीं जाती
फैलती है
खुशबू की मानिंद|
इमरोज़ को पता है
मोहब्बत की खुशबू
कैसी समाई है
ज़र्रे-ज़र्रे में|
४-
आज फिर कुछ हुआ
......
कहीं से गंध आ रही है
कुछ जलने की|
अभी-अभी लोगों ने बताया
कि मोहब्बत गुज़री थी यहाँ से
शायद
कोइ दीवाना जला होगा|
thanks ....Dil jlaane ke liye ....:))