शुक्रवार, 22 अप्रैल 2022

रमइया वस्तावइया

             यह तब की बात है जब होली के रंगों में धूल, कीचड़, गाड़ियों से निकला हुआ काला मोबाइल ऑयल और अन्य विषाक्त रसायनों को सम्मिलित नहीं किया गया था । सीधे-साधे लोग किनारा करते गये और किसी प्रतिरोध के अभाव में रंग को बदरंग करने वाली इन चीजों ने होली के रंगों के बीच अपना आतंकपूर्ण स्थान बना लिया, ठीक उन अपराधियों की तरह जिन्होंने राजनीति में भी अपना आतंकपूर्ण स्थान बना लिया है । होली के अच्छे रंग इन बदरंगों से डरने लगे और हुड़दंगियों से भयभीत लोगों ने होली में रंग खेलने से स्वयं को विरत कर लिया, ठीक राजनीति में रुचि रखने वाले उन अच्छे लोगों की तरह जिन्होंने अपराधी राजनीतिज्ञों के भय से राजनीति से स्वयं को विरत कर लिया है । रमइया को विद्रोही बनाने वाले घटकों में गाँव में प्रवेश कर चुकी इस बदरंगी होली का भी एक स्थान है ।

उसे राजकपूर की फ़िल्म श्री चारसौबीस का गाना “रमइया वस्तावइया मैंने दिल तुझको दिया” पसंद था और प्रायः गुनगुनाया करता । धीरे-धीरे गाँव के लोग उसे रमइया वस्तावइया नाम से पुकारने लगे । एक दिन उत्तर प्रदेश के गाँव से निकलकर रमइया वस्तावइया बम्बई गया तो फिर कभी गाँव नहीं आ सका । यूपी के गाँवों में ऐसा भी होता है, एक भाई यदि बाहर चला जाय तो दूसरा उसकी सम्पत्ति पर अधिकार कर लेता है और फिर उसे गाँव में कभी झाँकने तक नहीं देता । यूँ, कुछ लोग झाँकने का प्रयास करते भी हैं, किंतु वही जो लाठी-पोंगे का सामना करने से नहीं डरते ।  

तेलुगु में रमइया वस्तावइया का अर्थ है “राम तुम कब आओगे। दिन, महीना, साल बीतते गये पर रमइया वापस अपने गाँव नहीं जा सका । इस बीच बम्बई का नाम बदलकर मुम्बई हो गया और धारावी पहले से और भी अधिक गंदी हो गयी । उसे गाँव की याद आती तो सोचता, कितना कुछ बदल गया है, गाँव में भी बहुत कुछ बदल गया होगा । क्या पता, अब बहुतों ने होली खेलना ही बंद कर दिया हो! क्या पता, अब संवत भी बंद हो गयी हो!

दोपहर तक रंग खेलने के बाद शाम को सभी लोग नहा-धोकर और नये कपड़े पहनकर गाँव में एक स्थान पर एकत्र होते जहाँ उन पर कन्नौज का देशी इत्र और गुलाब-जल छिड़का जाता, और नारियल के चूरे के साथ पान का बीड़ा भी दिया जाता । बच्चे भी उस दिन पान खाते, वह भी बड़े-बूढ़े लोगों के सामने ही, उस दिन कोई उन्हें मना नहीं करता । यह सब चल रहा होता कि तभी काशी हिन्दूविश्वविद्यालय वाला पंचांग लेकर पंडित जी प्रकट होते और फिर नवसंवत्सर की ज्योतिषीय भविष्यवाणी की जाती । इसके बाद सभा विसर्जित होती और समानवय लोग एक-दूसरे के गले मिलते जबकि छोटे लोग अपने से बड़ों के चरण-स्पर्श किया करते । यही परम्परा थी, पता नहीं अब भी होगी या नहीं, कितना कुछ तो बदल गया है । इण्डिया के गाँवों में जो थोड़ा-बहुत भारत हुआ करता था, शायद अब वह भी नहीं बचा होगा । कैसे बचेगा! ब्रिटिश पराधीनता से स्वतंत्रता तो मिली पर स्वाधीनता नहीं मिल सकी । सच्चे का मुँह काला, झूठे का चमकीला । मोतीहारी वाले मिसिर जी कहते हैं – “घोर कलजुग आ गऽइल बा हो, साँची कहे बाला के यू-ट्यूब, फ़ेसबुक, ट्विटर पर ताला लागि जाला आ ससुरा झुट्ठा सिब्बलवा अदालत म आतंकी के पच्छ म बहस कऽरता त केहू थूकतो नइ खे”।    

बुधवार, 20 अप्रैल 2022

महाविनाश के कगार पर

 बस इतना सा गुनाह

उसका गुनाह बस इतना सा था कि उसके मालिक को कोरोना ने पकड़ लिया था । स्वास्थ्यकर्मियों ने उसके मालिक को पकड़ कर क्वा‌रण्टाइन सेण्टर में भेज दिया जो चीन में किसी जेल से कम नहीं हुआ करते । कोरोना वायरस को नियंत्रित करने के लिए इन जेलों में चौबीसों घण्टे प्रकाश रहता है और कोरोनापीड़ित के स्नान करने पर पूरी तरह प्रतिबंध रहता है । पिछले हफ़्ते शंघाई से एक वीडियो सामने आया, जिसमें एक स्वास्थ्यकर्मी को एक कुत्ते को बुरी तरह पीटते हुये देखा गया । कुत्ते को तब तक पीटा गया जब तक कि वह मर नहीं गया । आजकल शंघाई में कोविड पॉज़िटिव लोगों के पालतू पशुओं को मार डाला जा रहा है । किंतु क्या इस तरह किसी पशु को पीट-पीट कर मार डालना उचित है?

धरती पर कई तरह के राक्षस पाये जाते हैं जिनमें सर्वाधिक क्रूर राक्षस चीन में देखे जा सकते हैं जहाँ प्राणियों को जीवित स्थिति में ही खाने का शौक अब वहाँ की परम्परा बन चुकी है ।   

निठल्लापन भी बिकता है

ग़र्मी की लम्बी दोपहरियों में नीम या बरगद के नीचे चौपाल सजा करती थी जिसमें कुछ मतलब की बातों के बाद निठल्लेपन के साथ समय बिताया जाना आम हुआ करता था । बे-बात की बातें हुआ करतीं और निठल्ले लोग हाहाहूहू किया करते जिससे सूरज ढलने तक समय काटना आसान हो जाया करता ।    

भारतीय टीवी मीडिया ने चौपाल से बहुत कुछ सीखा और चौपाल को घर-घर में पहुँचा दिया । आज हमारे टीवी चैनल्स निठल्लेपन को बेचने में अच्छी तरह पारंगत हो चुके हैं । विवादित वातें बोलने वाले परस्पर विरोधी लोगों को सादर आमंत्रित किया जाता है और किसी विवादित विषय को फुटवाल बनाकर उनके बीच उछाल दिया जाता । मोतीहारी वाले मिसिर जी को यह सब निठल्लेपन का व्यापार लगता है जिसकी वास्तव में कोईआवश्यकता नहीं हुआ करती । कभी-कभी नीतिगत विषयों पर राह चलते कुछ लोगों से उनकी राय पूछी जाती है और उसे महत्वपूर्ण बनाकर परोस दिया जाता है । टीवी सम्भाषाओं में शायद ही कभी कोई सार्थक बहस होती हो वरना एक-दूसरे को नीचा दिखाने और चीखने वाले कुछ जाने-पहचाने असभ्य और अमर्यादित चेहरों को देखते-झेलते हुये दो पीढ़ियाँ “सम्भाषा के तरीकों को सीखती हुयी” बड़ी हो रही हैं ।

टैक्टिकल न्यूक्लियर वीपन्स

कल अंतिम एक घण्टे में भारतीय शेयर्स धड़ाम हो गये । आईटी, शुगर और पॉवर सेक्टर्स जैसे दमदार शेयर्स भी धराशायी होने लगे तो निवेशक चौंके, क्या कारण हो सकता है भला! ट्रेडर्स ने शेयर्स इस तरह बेचने शुरू कर दिये गोया कीव छोड़कर बाहर भागने की तैयारी में हों । पता चला कि युद्धपोत के डूबने से बौखलाये रूस ने यूक्रेनी शहरों पर “टैक्टिकल न्यूक्लियर वीपन्स” से आक्रमण की चेतावनी दे दी है । यदि ऐसा होता है तो यह महाविनाशकारी स्थिति होगी, यूँ भी रूस और यूक्रेन, लगभग दो महीनों के युद्ध में कम तबाह नहीं हुये हैं । मोतीहारी वाले मिसिर जी मानते हैं कि अमेरिका की लगायी आग में नाटो देशों ने जमकर घी बरसाया और दो समृद्ध देशों को विनाश के महासागर में ढकेल दिया । काश! अपने व्यक्तिगत अहंकारों को छोड़कर दोनों राष्ट्राध्यक्ष हाथ मिला पाते!  

रविवार, 3 अप्रैल 2022

दलबदल की लक्षमणरेखा

             पाकिस्तान की सल्तनत खोने जा रहे इमरान ने स्पष्ट कर दिया है कि वह गद्दारों को कभी नहीं भूलेगा। दूसरी ओर भारत में राजभर और शिवपाल यादव के भाजपा में सम्मिलित होने की चर्चायें होने लगी हैं। मोतीहारी वाले मिसिर जी को लगता है कि दलबदल के लिये भाजपा को एक लक्षमणरेखा खींच कर रखनी चाहिये। क्या दलबदल का इतिहास रचने वाले सत्तालोभी स्वामीप्रसाद मौर्य के लिये भी भाजपा अपने दरवाजे खुले रखने वाली है? अपर्णा यादव का तो भाजपा में आना आमजनता को स्वीकार है किंतु शिवपाल यादव का आना स्वीकार नहीं होगा। मुलायम के कुनबे ने सत्तालोभ की सारी मर्यादायें छिन्न-भिन्न कर डाली हैं। यह वह वंशवादी कुनबा है जो न तो लोकतांत्रिक है और न समाजवादी।

मिसिर जी का विश्वास है कि भाजपा का जब भी पतन होगा तब उसका सबसे बड़ा कारण गंदे नाले में बहकर आने वाला वह कचरा होगा जिसे संख्या बल के नाम पर भाजपा स्वीकार करती जा रही है ।

अगला राष्ट्रपति

समाचार है कि भारत के अगले राष्ट्रपति भाजपा के पूर्व मुख्यमंत्री डॉक्टर रमन सिंह होने वाले हैं। जो लोग डॉ. रमन सिंह को जानते हैं उन्हें पता है कि छत्तीसगढ़ में एक लम्बी पारी खेलने के बाद भाजपा का जितनी बुरी तरह पतन हुआ था उसका कारण क्या था! बहरहाल, मोतीहारी वाले मिसिर जी को लगता है कि इस समय भारत के अगले राष्ट्रपति के लिये मोहम्मद आरिफ़ ख़ान से अधिक उपयुक्त व्यक्ति शायद ही और कोई हो।