शनिवार, 28 दिसंबर 2019

भारत में महान माने जाते हैं लुटेरे और क्रूर क़ातिल


मुगल वंश के शासकों का इतिहास भारत की नई पीढ़ी के सामने जिस तरह परोसा गया है उसने महानता और निकृष्टता की परिभाषाओं को उलट दिया है । भारत में मुगल वंश को महान शासकों का वंश माना जाता है जिसकी स्थापना एक उज़्बेक लुटेरे बाबर के द्वारा की गयी थी । बाबर के पूर्वजों का इतिहास भी क्रूरता, हत्या और लूटमार की घटनाओं से भरा रहा है
पितृ पक्ष का पूर्वज तैमूर लंग – 1369-1407, एक तुर्की उज़्बेक था जो बाद में समरकंद का अमीर बना । यह एक ऐसा लुटेरा और हत्यारा था जिसे भारत के लोग उसकी इन्हीं ख़ूबियों के कारण आज तक महान मानते आये हैं ।
मातृ पक्ष का पूर्वज तिमुचिन कैगन (चंघेज़ ख़ान) – 1162-1227, एक अति महत्वाकांक्षी मंगोलियन बौद्ध था जिसे क़त्ल-ए-आम से बेहद मोहब्बत थी ।    

https://knowindia.gov.in/hindi/  - यह एक सरकारी लिंक है जिसने मध्य कालीन भारत के इतिहास को नयी पीढ़ी के लिये परोसा है । इस इतिहास में परोसी गयी मुगल राजवंश की महानता से भारत को सावधान रहना होगा ।   

मध्‍य कालीन भारत का इतिहास
मुगल राजवंश
भारत में मुगल राजवंश महानतम शासकों में से एक था। मुगल शासकों ने हज़ारों लाखों लोगों पर शासन किया। भारत एक नियम के तहत एकत्र हो गया और यहां विभिन्‍न प्रकार की सांस्‍कृतिक और राजनैतिक समय अवधि मुगल शासन के दौरान देखी गई। पूरे भारत में अनेक मुस्लिम और हिन्‍दु राजवंश टूटे, और उसके बाद मुगल राजवंश के संस्‍थापक यहां आए। कुछ ऐसे लोग हुए हैं जैसे कि बाबर, जो महान एशियाई विजेता तैमूर लंग का पोता था और गंगा नदी की घाटी के उत्तरी क्षेत्र से आए विजेता चंगेज़खान, जिसने खैबर पर कब्‍जा करने का निर्णय लिया और अंतत: पूरे भारत पर कब्‍ज़ा कर लिया।
बाबर (1526-1530):
यह तैमूर लंग और चंगेज़खान का प्रपौत्र था जो भारत में प्रथम मुगल शासक थे। उसने पानीपत के प्रथम युद्ध में 1526 के दौरान लोधी वंश के साथ संघर्ष कर उन्‍हें पराजित किया और इस प्रकार अंत में मुगल राजवंश की स्‍थापना हुई। बाबर ने 1530 तक शासन किया और उसके बाद उसका बेटा हुमायूं गद्दी पर बैठा।
हुमायूं (1530-1540 और 1555-1556):
बाबर का सबसे बड़ा था जिसने अपने पिता के बाद राज्‍य संभाला और मुगल राजवंश का द्वितीय शासक बना। उसने लगभग 1 दशक तक भारत पर शासन किया किन्‍तु फिर उसे अफगानी शासक शेर शाह सूरी ने पराजित किया। हुमायूं अपनी पराजय के बाद लगभग 15 वर्ष तक भटकता रहा। इस बीच शेर शाह मौत हो गई और हुमायूं उसके उत्तरवर्ती सिकंदर सूरी को पराजित करने में सक्षम रहा तथा दोबारा हिन्‍दुस्‍तान का राज्‍य प्राप्‍त कर सका। जबकि इसके कुछ ही समय बाद केवल 48 वर्ष की उम्र में 1556 में उसकी मौत हो गई।
शेर शाह सूरी (1540-1545):
एक अफगान नेता था जिसने 1540 में हुमायूं को पराजित कर मुगल शासन पर विजय पाई। शेर शाह ने अधिक से अधिक 5 वर्ष तक दिल्‍ली के तख्‍त पर राज किया और वह इस उप महाद्वीप में अपने अधिकार क्षेत्र को स्‍थापित नहीं कर सका। एक राजा के तौर पर उसके खाते में अनेक उपलब्धियों का श्रेय जाता है। उसने एक दक्ष लोक प्रशासन की स्‍थापना की। उसने भूमि के माप के आधार पर राजस्‍व संग्रह की एक प्रणाली स्‍थापित की। उसके राज्‍य में आम आदमी को न्‍याय मिला। अनेक लोक कार्य उसके अल्‍प अवधि के शासन कार्य में कराए गए जैसे कि पेड़ लगाना, यात्रियों के लिए कुएं और सरायों का निर्माण कराया गया, सड़कें बनाई गई, उसी के शासन काल में दिल्‍ली से काबुल तक ग्रांड ट्रंक रोड बनाई गई। मुद्रा को बदल कर छोटी रकम के चांदी के सिक्‍के बनवाए गए, जिन्‍हें दाम कहते थे। यद्यपि शेर शाह तख्‍त पर बैठने के बाद अधिक समय जीवित नहीं रहा और 5 वर्ष के शासन काल बाद 1545 में उसकी मौत हो गई।
अकबर (1556-1605):
हुमायूं के उत्तराधिकारी, अकबर का जन्‍म निर्वासन के दौरान हुआ था और वह केवल 13 वर्ष का था जब उसके पिता की मौत हो गई। अकबर को इतिहास में एक विशिष्‍ट स्‍थान प्राप्‍त है। वह एक मात्र ऐसा शासक था जिसमें मुगल साम्राज्‍य की नींव का संपुष्‍ट बनाया। लगातार विजय पाने के बाद उसने भारत के अधिकांश भाग को अपने अधीन कर लिया। जो हिस्‍से उसके शासन में शामिल नहीं थे उन्‍हें सहायक भाग घोषित किया गया। उसने राजपूतों के प्रति भी उदारवादी नीति अपनाई और इस प्रकार उनसे खतरे को कम किया। अकबर न केवल एक महान विजेता था बल्कि वह एक सक्षम संगठनकर्ता एवं एक महान प्रशासक भी था। उसने ऐसा संस्‍थानों की स्‍थापना की जो एक प्रशासनिक प्रणाली की नींव सिद्ध हुए, जिन्‍हें ब्रिटिश कालीन भारत में भी प्रचालित किया गया था। अकबर के शासन काल में गैर मुस्लिमों के प्रति उसकी उदारवादी नीतियों, उसके धार्मिक नवाचार, भूमि राजस्‍व प्रणाली और उसकी प्रसिद्ध मनसबदारी प्रथा के कारण उसकी स्थिति भिन्‍न है। अकबर की मनसबदारी प्रथा मुगल सैन्‍य संगठन और नागरिक प्रशासन का आधार बनी।
अकबर की मृत्‍यु उसके तख्‍त पर आरोहण के लगभग 50 साल बाद 1605 में हुई और उसे सिकंदरा में आगरा के बाहर दफनाया गया। तब उसके बेटे जहांगीर ने तख्‍त को संभाला।
जहांगीर:
अकबर के स्‍थान पर उसके बेटे सलीम ने तख्‍तोताज़ को संभाला, जिसने जहांगीर की उपाधि पाई, जिसका अर्थ होता है दुनिया का विजेता। उसने मेहर उन निसा से निकाह किया, जिसे उसने नूरजहां (दुनिया की रोशनी) का खिताब दिया। वह उसे बेताहाशा प्रेम करता था और उसने प्रशासन की पूरी बागडोर नूरजहां को सौंप दी। उसने कांगड़ा और किश्‍वर के अतिरिक्‍त अपने राज्‍य का विस्‍तार किया तथा मुगल साम्राज्‍य में बंगाल को भी शामिल कर दिया। जहांगीर के अंदर अपने पिता अकबर जैसी राजनैतिक उद्यमशीलता की कमी थी। किन्‍तु वह एक ईमानदार और सहनशील शासक था। उसने समाज में सुधार करने का प्रयास किया और वह हिन्‍दुओं, ईसाइयों तथा ज्‍यूस के प्रति उदार था। जबकि सिक्‍खों के साथ उसके संबंध तनावपूर्ण थे और दस सिक्‍ख गुरूओं में से पांचवें गुरू अर्जुन देव को जहांगीर के आदेश पर मौत के घाट उतार दिया गया था, जिन पर जहांगीर के बगावती बेटे खुसरू की सहायता करने का अरोप था। जहांगीर के शासन काल में कला, साहित्‍य और वास्‍तुकला फली फूली और श्री नगर में बनाया गया मुगल गार्डन उसकी कलात्‍मक अभिरुचि का एक स्‍थायी प्रमाण है। उसकी मृत्‍यु 1627 में हुई।
शाहजहां:
जहांगीर के बाद उसके द्वितीय पुत्र खुर्रम ने 1628 में तख्‍त संभाला। खुर्रम ने शाहजहां का नाम ग्रह किया जिसका अर्थ होता है दुनिया का राजा। उसने उत्तर दिशा में कंधार तक अपना राज्‍य विस्‍तारित किया और दक्षिण भारत का अधिकांश हिस्‍सा जीत लिया। मुगल शासन शाहजहां के कार्यकाल में अपने सर्वोच्‍च बिन्‍दु पर था। ऐसा अतुलनीय समृद्धि और शांति के लगभग 100 वर्षों तक हुआ। इसके परिणाम स्‍वरूप इस अवधि में दुनिया को मुगल शासन की कलाओं और संस्‍कृति के अनोखे विकास को देखने का अवसर मिला। शाहजहां को वास्‍तुकार राजा कहा जाता है। लाल किला और जामा मस्जिद, दिल्‍ली में स्थित ये दोनों इमारतें सिविल अभियांत्रिकी तथा कला की उपलब्धि के रूप में खड़ी हैं। इन सब के अलावा शाहजहां को आज ताज महल, के लिए याद किया जाता है, जो उसने आगरा में यमुना नदी के किनारे अपनी प्रिय पत्‍नी मुमताज महल के लिए सफेद संगमरमर से बनवाया था।
औरंगज़ेब:
औंरगज़ेब ने 1658 में तख्‍त संभाला और 1707 तक राज्‍य किया। इस प्रकार औरंगज़ेब ने 50 वर्ष तक राज्‍य किया। जो अकबर के बराबर लम्‍बा कार्यकाल था। परन्‍तु दुर्भाग्‍य से उसने अपने पांचों बेटों को शाही दरबार से दूर रखा और इसका नतीजा यह हुआ कि उनमें से किसी को भी सरकार चलाने की कला का प्रशिक्षण नहीं मिला। इससे मुगलों को आगे चल कर हानि उठानी पड़ी। अपने 50 वर्ष के शासन काल में औरंगजेब ने इस पूरे उप महाद्वीप को एक साथ एक शासन लाने की आकांक्षा को पूरा करने का प्रयास किया। यह उसी के कार्यकाल में हुआ जब मुगल शासन अपने क्षेत्र में सर्वोच्‍च बिन्‍दु तक पहुंचा। उसने वर्षों तक कठिन परिश्रम किया किन्‍तु अंत में उसका स्‍वास्‍थ्‍य बिगड़ता चला गया। उसने 1707 में 90 वर्ष की आयु पर मृत्‍यु के समय कोई संपत्ति नहीं छोड़ी। उसकी मौत के साथ विघटनकारी ताकतें उठ खड़ी हुईं और शक्तिशाली मुगल साम्राज्‍य का पतन शुरू हो गया।

गुरुवार, 5 दिसंबर 2019

यौनदुष्कर्म और बेख़ौफ़ अपराधी


यह गुरुवार कितना अशुभ रहा! तेलंगाना के बाद अब यू.पी. में दहशत का साम्राज्य है । हैदराबाद की डॉ. प्रियंका रेड्डी की दर्दनाक हत्या के बाद जहाँ पूरा देश यौनदुष्कर्मियों को फाँसी देने की माँग कर रहा है वहीं यौनदुष्कर्मियों में इस बात को लेकर तनिक भी भय नहीं है, वे बेख़ौफ़ जघन्य अपराध किये जा रहे हैं । क्या यह दुःखद नहीं है कि जनता को यह माँग करनी पड़ रही है कि कानून का राज्य स्थापित करने के लिये यौनदुषकर्मियों को फाँसी की सजा दी जानी चाहिये ! यानी हमें न्याय के लिये भी राजा के सामने गिड़गिड़ाना ही होगा ।
१.   यू.पी. में मैनपुरी जिले के घिरोर कस्बे में कुछ शोहदों ने दसवीं कक्षा में पढ़ने वाली एक किशोरी से छेड़छाड़ की, भाई ने समझाइश दी तो नाराज़ शोहदों ने पहले चौबीस घण्टे के भीतर देख लेने की चेतावनी दी फिर आज सुबह मौका देखा, सूने घर में घुस गये और किशोरी के गले में फंदा डालकर उसी के घर में फाँसी दे दी ।
संविधान का कौन सम्मान करता है ? कानून से कौन डरता है ? ऐसी ही निरंकुश और अराजक  व्यवस्था के लिये हम उन्हें अपने ऊपर हुक़ूमत का अधिकार देते हैं!
२.   मेरठ में भी आज सुबह राष्ट्रीय राजमार्ग के किनारे यौनदुष्कर्म के बाद चलती ट्रक से फेंकी हुयी एक युवती पायी गयी । अराजकता और निरंकुशता का यह आलम दहशत पैदा करता है । सड़क पर भागती गाड़ियों के भीतर किसी लड़की को कुछ लोगों द्वारा नोचा जाता है फिर उसे सड़क के किनारी कहीं भी फेंक दिया जाता है गोया चलती कार में गरम भुट्टा खाया फिर उसे चलती कार से बाहर फेंक दिया । स्त्री का जीवन एक वस्तु हो गया है, यूज़ एण्ड थ्रो ।
३.   उन्नाव जिले के पाटन खेड़ा गाँव की एक युवती से सामूहिक दुष्कर्म हुआ था । आरोपी जमानत पर थे और अदालत में के चल रहा था । सभी आरोपी ब्राह्मण हैं, उन्होंने ब्राह्मण समुदाय को कलंकित करते हुये आज सुबह युवती को जीवित जला दिया । यानी ख़ौफ़ नाम की किसी चीज से अपराधी अब पूरी तरह अनजान हैं ।

गाँव की युवती न्याय की तलाश में थी, अदालत की राह में थी, आरोपियों ने न्याय की राह रोक दी, युवती को मारा-पीटा फिर उसे जीवित जला दिया । नब्बे प्रतिशत तक जल चुकी युवती अब दर्द से लड़ रही है और प्रतीक्षा कर रही है मौत की । न्याय की असफल प्रतीक्षा के बाद अब केवल मृत्यु की प्रतीक्षा ।

अब यह सवाल कौन पूछेगा माननीय न्यायालय जी से कि सामूहिक यौनदुष्कर्म जैसे जघन्य अपराध के आरोपियों को जमानत पर क्यों छोड़ गया था, क्या इसलिये कि वे न्याय प्रक्रिया को प्रभावित कर सकें ?
चलो! हो गयी प्रभावित न्याय प्रक्रिया । जला दिया लड़की को, मिट गये सबूत, मर गयी फ़रियादी ।
आइये! अब हम माननीय न्यायालय का सम्मान करें ।