बातें ना हुयीं उनकी गोया
कपड़े हुये
देखो पल-पल वो बातें बदल
देते हैं ॥
उनकी चालों की ख़ूबी पे मरते
हैं सब
देखो पल-पल वो राहें बदल
देते हैं ॥
गिरगिटों ने भी उनसे ही
तालीम ली
फ़ैसले शाम के सुबह वो बदल
देते हैं ॥
उनके नुस्ख़े भी होते हैं बड़े
लाज़वाब
हरदम वो देकर दवा दर्द
बदल देते हैं ॥
लेने बदले बदलते हैं वो शातिर
पैंतरे
अब उपनाम अपने हम बदल
देते हैं ॥
बदलते हैं वो सबकुछ सिर्फ़
दिल छोड़के
सबसे लगाके दिल वो पते बदल
देते हैं ॥
जवाब देंहटाएंबस्तर के झरनों से क्या खूब शब्द फूटे हैं....
बेहतरीन ग़ज़ल......
सादर
अनु
सबसे लगाके दिल वो पते बदल देते हैं ॥
जवाब देंहटाएंला-जवाब प्रस्तुति भाई जी!! क्या बात है आजकल आप हमारे दर का पता भूल गए है?
जी नहीं ! समयाभाव है। कुछ महीने का समय और लगेगा समय मिलने में।
हटाएंउनकी चालों की ख़ूबी पे मरते हैं सब
जवाब देंहटाएंदेखो पल-पल वो राहें बदल देते हैं
गज़ब ..क्या बात है
बहुत खूब ...
जवाब देंहटाएंक्या बात है कौशलेन्द्र जी.......बहुत सुन्दर...
जवाब देंहटाएं:)
हटाएंबदलते हैं वो सबकुछ सिर्फ़ दिल छोड़के
जवाब देंहटाएंसबसे लगाके दिल वो पते बदल देते हैं ॥
हमारा पता तो वही है ....:))
झूठ ! पिछले कई साल से उस पते पर जाकर वापस आ जाता हूँ। वहाँ अब कोई नहीं रहता। लोग कहते हैं कि इस घर के लोगों ने घर बदल दिया है ।
जवाब देंहटाएं:)
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