सोमवार, 24 अगस्त 2015

पड़ोसीनामा

      
      भारत-पाकिस्तान वार्ता विफल होने की चर्चा प्रारम्भ करने से पहले यह बताना ज़रूरी है कि गंगू तेली ने पेट काट-काट कर जुटाये पैसों से अच्छी नस्ल के बैलों की एक नयी जोड़ी ख़रीदने में क़ामयाबी हासिल करली है ।
अपने जन्म से ही गंगू का सपना रहा है कि वह एक दिन अपने बैलों की घानी से पेरे तेल की बदौलत टाटा कम्पनी को धूल चटा देगा । वह अपने बैलों को ईष्र्यालु पड़ोसियों की बुरी नज़र से बचाने के लिये कई टोने-‌टोटके भी करवाता रहता है । आये दिन गंगू तेली पूरे गाँव को यह बताने से नहीं चूकता कि वह अपनी घानी के पेरे हुये तेल से किसी भी दिन टाटा कम्पनी को धूल चटा देगा ।

भारत के साथ पाकिस्तान की वार्ता प्रारम्भ होने से पहले ही असफल हो गयी । बेशक ! पाकिस्तान ने अपनी बद्बूदार इज़्ज़त बुरी तरह मैली हो चुकी अपनी जीर्ण-शीर्ण चादर से ढकने की कोशिश में, छद्म ही सही, सफलता तो प्राप्त कर ही ली है, किंतु इस छद्मता को छिपाने के लिये वह युद्ध जैसी स्थितियाँ उत्पन्न करने के प्रयासों में तीव्रता से अपनी शक्ति झोंकने का प्रयास करेगा ।
पाकिस्तान गाहे-ब-गाहे यह याद दिलाने से नहीं चूकता कि उसके पास परमाणु बम है जिसका वह भारत के विरुद्ध प्रयोग कर सकता है, किंतु वह चाह कर भी ऐसा कर नहीं सकेगा उसे मालूम है कि परमाणु बम का भारत के विरुद्ध प्रयोग धमकाने तक तो ठीक है किंतु बॉम्बिंग के लिये बिल्कुल नहीं । पाकिस्तान के पश्चिमी सीमावर्ती प्रांत अरसे से सुलग रहे हैं जिन्हें बुझाना  पाकिस्तान की कभी प्राथमिकता सूची में नहीं रहा । पाकिस्तान यह भी जानता है कि भारत पर युद्ध थोपने के साथ ही बलूचिस्तान जैसे प्रांत भी मौके का फ़ायदा उठाते हुये जल उठेंगे । वह भारत के हाथों तबाह नहीं होना चाहता किंतु भारत को चैन से रहने भी नहीं देना चाहता इसलिये घुसपैठ, भाड़े के आतंक, फ़िदायीन हमले और सीज़फायर उल्लंघन जैसी दुष्ट कार्यवाहियों से भारत के विकास की गति को लगाम देने की घटनाओं को बढ़ाने से तो चूकेगा ही नहीं ।

दुनिया जानती है कि शैतान कभी चुप नहीं बैठते ...
………फिर भी, हम नहीं चाहते कि पाकिस्तान के साथ हमें कोई युद्ध करना पड़े । भारत की तरह ही पाकिस्तान में भी बहुत से ऐसे लोग हैं जो बुद्धिजीवी भी हैं और अच्छे इंसान भी । दुनिया में अच्छे लोग ज़िंदा रहने ही चाहिये । परमाणु बम अच्छे और बुरे लोगों की पहचान नहीं किया करते । गोलियाँ सूफ़ी और शैतान में फ़र्क नहीं किया करतीं ... और बारूद का धुआँ बेग़ुनाह चिड़ियों पर भी रहम नहीं किया करता । जब तोपें गोले बरसाती हैं तो दरख़्तों के साथ-साथ बया के घोसले भी ख़ाक हो जाया करते हैं । परमाणु बम की धमकी देने वाले शैतान कभी बया के घोसले में पल रहे नन्हें चूजों के बारे सोच ही नहीं पाते । ..... किंतु हम भी न सोचें ..... यह सम्भव है क्या ?

महाबदमाश बच्चे के बाप की भूमिका सही तरह से नहीं निभाता है अमेरिका

अमेरिका एक झोली वाला बाबा है जो ग़रीब बच्चों को उठाकर अपनी झोली में डाल लेता है .... बंधुआ भिखारी बनाने के लिये । वर्षों पहले उसने एक बदमाश बच्चे को भीख माँगते देखा, अमेरिका ने मुस्कराकर उसकी ओर कुछ डॉलर फेके । बच्चे ने लपक कर डॉलर उठा लिये । भूख से बेहाल बच्चे ने पहले तो एक गन ख़रीदी फिर थोड़ी सी हशीश ख़रीदी और वहीं बैठकर मज़े करने लगा । अमेरिका को यह बेवकूफ़ बच्चा बहुत अच्छा लगा । उसने न आव देखा न ताव बस गंदे, भूखे और नशे में डूबे महाबदमाश बच्चे को गोद ले लिया । अब वह अडॉप्टेड बच्चा जब-तब अमेरिका के दरवाज़े पर नशे में धुत्त होकर पहुँच जाता है, दरवाज़ा खटखटाता है और हाथ पसार देता है । अमेरिका मुस्कराकर उसे कुछ डॉलर देता है ... हर बार की तरह । फिर जैसे ही वह गंदा बच्चा घूम कर वापस चलने लगता है, अमेरिका उसे पीछे से एक लात मारकर अट्टहास करता है .... हर बार की तरह ।
नशे में धुत्त बच्चा ख़ुश होकर अमरीकी डॉलर अपने सीने से लगाये अमेरिका की एक दुकान पर पहुँचता है – कुछ अत्याधुनिक हथियार और हशीश ख़रीदने के लिये । उसे अपने पड़ोसी को परेशान करने में बड़ा सुक़ूं मिलता है । जब वह छोटा था .... मतलब बहुत छोटा ... नन्हा सा, तब उसे तालाब के किनारे आराम से बैठे मेढकों को पत्थर मारने में बड़ा मज़ा आता था । अब वह बच्चा बड़ा होता जा रहा है ... उसकी हरक़तें बढ़ती जा रही हैं ।
यह बात पूरी दुनिया जानती है कि पाकिस्तान के हुक़्मरान ज़िद्दी, झूठे और बदमाश हैं जिन्होंने दुनिया के सामने पाकिस्तान की छवि एक बद्बूदार, फटीचर, ज़िद्दी, झूठे, झपट्टामार, भिखारी और शैतान बच्चे के रूप में पेश की है । जबकि हक़ीक़त यह है कि पाकिस्तान की ख़ूबसूरत ज़मीं पर भी हरियाली उगती है, ख़ुश्बूदार फूल खिलते हैं, धरती फल और मेवे उगलती है, हवायें गुनगुनाती हैं, झरने नृत्य करते हैं और दूर कहीं पहाड़ी पर कोई दाढ़ी वाला झूम-झूम कर सूफ़ी गीत गाता है ।

पाकिस्तानी घरों में भी बच्चियाँ हैं जिनके दुश्मन उनके आसपास ही मंडराते रहते हैं । बच्चियाँ फूलों को देखकर ख़ुश होती हैं, तितलियों के पीछे भागना चाहती हैं और अपने हिज़ाब फेककर स्कूल जाना चाहती हैं । बच्चियों की आँखों में सपने हैं .... ठीक ... जैसे भारत की बेटियों की आँखों में होते हैं । पाकिस्तान में भी अमन पसंद लोग हैं जिनका जीना मुश्किल कर रखा है कठमुल्लों ने । वहाँ भी बहुत से ऐसे युवक हैं जो अमेरिका जाकर पढ़ायी करना चाहते हैं और फिर वहीं बस जाना चाहते हैं  ..... फिर कभी पाकिस्तान वापस न आने के लिये ।

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