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वो बलात्कार करते हैं, हम बलात्कार सहते हैं ।
- भ्रष्टाचार की तरह बलात्कार भी हमारी सभ्यता
का एक अघोषित अंग बन कर स्थायी होता जा रहा है । आधुनिक बलात्कार केवल शरीर का ही
नहीं बल्कि आत्मा, स्वाभिमान, स्वतंत्रता और निष्ठा का भी किया जा रहा है ।
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भारत के लोग अपने राष्ट्रीय स्वाभिमान के साथ
होते विदेशी बलात्कार को सहने के अभ्यस्त होते जा रहे हैं । राष्ट्रीय सम्प्रभुता
की घोषणा संविधान के पन्नों में लिख कर अल्मीरा में बन्द कर दी गयी है ।
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भारत में पाकिस्तान और आई.एस.आई.एस. के लहराते
ध्वज, पाकिस्तान ज़िन्दाबाद के उद्घोष, हिन्दुस्तान मुर्दाबाद के नारे और आये दिन
आतंकवादी हिंसा की ज्वालायें अब राष्ट्रीय कर्णधारों और भारतीयों को व्यथित और
आन्दोलित नहीं करतीं ।
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जघन्य हत्यायें करने वाले राष्ट्रद्रोही की
शवयात्रा में हजारों की भीड़ उमड़ पड़ती है गोया समाज अपने नायक को अंतिम विदायी दे
रहा हो । यह कौन सा समाज है जिसकी उन्मुक्त राष्ट्रद्रोही हरकत पर चारो ओर ख़ामोशी
है और कोई इसके ख़िलाफ़ सामने आने का साहस नहीं कर पा रहा है । राष्ट्र के अन्दर यह कौन
सा राष्ट्र जन्म ले रहा है जिसकी मान्यतायें, निष्ठा, मूल्य और संस्कार भारत के
विरुद्ध हैं ?
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भारतीयों की राष्ट्रीय संवेदना कुन्द होती जा
रही है, स्वाभिमान तिरोहित होता जा रहा है और मुस्लिम युवाओं का इस्लामिक स्टेट की
स्थापना के लिये ज़िहाद के प्रति आकर्षण प्रारम्भ हो चुका है ।
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माननीयगण आतंकियों के समर्थन में उठ खड़े हुये
हैं, आधी रात के बाद देश की सर्वोच्च अदालत माननीयों के दबाव के आगे नतमस्तक होते
हुये मृत्युदण्ड की क्षमायाचना पर सुनवायी करती है ...... एक जघन्य हत्यारे की
प्राणरक्षा के अंतिम अवसर की तलाश में देश के सांसद और सुस्थापित बुद्धिजीवी
नैतिकता की हत्या कर देते हैं जबकि दशकों पुराने केस सुनवायी का इंतज़ार करते-करते
कॉमा की स्थिति में पहुँच चुके हैं ।
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सांसद और न्यायाधीश न्यायिक त्वरिता की प्राथमिकता
एवं पात्रता तय करने में असफल हो चुके हैं ।
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सत्ता, शासन, अनुशासन, प्रशासन, लोकतंत्र,
मौलिक अधिकार, सुरक्षा और देशभक्ति जैसे शब्द अपने अर्थ खो चुके हैं और कश्मीर
अराजकता, अशासन, हिंसा, विद्रोह और राष्ट्रद्रोह के रास्ते पर तेजी से चल पड़ा है ।
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किसी भी देश का राष्ट्रीयध्वज उस देश की
स्वतंत्रता और सम्प्रभुता की उद्घोषणा करता है । किसी भी देश का राष्ट्रीयध्वज उस
देश के नागरिकों को उनकी सुरक्षा और मौलिक अधिकारों की सुनिश्चितता का आश्वासन
देता है । किंतु जब भारत के कश्मीर में लहराते विदेशी ध्वज भारत की सम्प्रभुता को
चुनौती दे रहे होते हैं तो भारत की संसद में मतभेद और गतिरोध जारी रहता है ।
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कश्मीर जल रहा है, देश का हर शहर असुरक्षित
है, नागरिक अनाश्वस्त और सशंकित हैं । संविधान की शपथ लेने वाले लोग गहरी नींद में
हैं और मैं समाज और देश के लिये शासन के औचित्य को खोजने में अपनी नींद हराम कर
रहा हूँ ।
*** और
चलते-चलते .........
आज गुरुदास
कामत ने स्मृति ईरानी की शिक्षा और मंत्रीपद के लिये योग्यता और पात्रता पर
अशोभनीय ढंग से वक्तव्य दिया । गुरुदास कामत वह नहीं देख पा रहे हैं जिसे पूरा देश
देख पा रहा है कि स्मृति ईरानी की सौम्यता, व्यक्तित्व, शालीनता, भाषा, वक्तृत्वशैली,
चिंतन और दूरदृष्टि ने उन अनेक माननीयों को धूल चटा दी है जिन्हें उच्चशिक्षित और अनुभवी होने का
दम्भ है ।
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