इतिहास जो उपेक्षित हो रहा है
इतिहास
तो हम रोज रचते हैं किंतु क्या पहचान भी पाते हैं उसे ?
भारतीय
स्वतंत्रता संग्राम और उससे पूर्व की परिस्थितियाँ भी इतिहास का एक महत्वपूर्ण
हिस्सा थीं जिनका एक बड़ा भाग या तो लिखा ही नहीं गया या फिर उन्हें उचित महत्व
नहीं मिला । इतिहास की उपेक्षा भविष्य की योजनाओं के लिए अपेक्षित सुधार के तत्वों
की उपेक्षा है । स्वातंत्र्योत्तर भारत में अवसरवादियों के वर्चस्व और भारतीय
मूल्यों के विनाशकारी षड्यंत्रों ने भारतीय समाज को जिस स्थिति में लाकर खड़ा कर
दिया है वह चिंताजनक है । विश्वविद्यालयों, विद्वानों, धर्मोन्मादियों और
राजनीतिज्ञों का एक समूह भारत का एक नया इतिहास रच रहा है । हमारे अस्तित्व की
रक्षा से जुड़े इस इतिहास को जानने के लिए पढ़ें “अयन प्रकाशन” द्वारा प्रकाशित वैचारिक
क्रांति के लिए आप सबका आह्वान करती हमारी पुस्तक “प्रतिध्वनि”।
... और
सुनिये, भारत की आत्मा की वह प्रतिध्वनि जिसमें षड्यंत्र है, चीख है, पीड़ा है...
और है वह ज्वलंत सन्देश जो भारतीयों के अस्तित्व की रक्षा से जुड़ा है । पुस्तक के
लिए कृपया 09818988613 पर सम्पर्क करें ।
सहयोग के लिए आभार !
जवाब देंहटाएंसादर
कौशल ।