आज का पोस्ट हम सलिल भैया को समर्पित कर रहे हैं ....काहे से की ई उन्हीं का अस्टाइल है . नहीं नहीं एकदम ओईसन ही त नहिंए है बाकी कोसिस ज़रूर किये हैं. का करें, हम भोजपुर त छोड़ दिए पर भोजपुरी हमको छोड़े तब न ! भोजपुरिया बोली के मिठास का मोह छोड़ना एतना सरल है का !
एगो बात याद आ गया, भोजपुरी बोली के एगो अइसन बिसेसता है जो हमको अउर कहीं नहीं मिला. जब हम पढ़ते थे त पटना के बेली रोड पर लिट्टी-चोखा खा-खा के खूब धरना, परदरसन आ अनसन किये. खड़ा हिन्दी वालों को मजाके मज़ाक में कहते थे के भोजपुरी मं भासन दीजिये त कभी अटकिएगा नहीं....ई हमारा गारंटी है. नेता बनने का बहुत सारा ट्रेनिंग त विद्यार्थी जीवन में ही लेना पड़ता है न ! ख़ास करके भासन देने आ पुलिस से निपटने का. भासन एकदम परभावसाली होना चाहिए .......बिना रुके ...बिना अटके......एकदम धुंआधार तभिये न लोग कहेगा के ई है नेता के लायक. तब विद्यार्थी जीवन में नेता का ई गुण ही जादा आकर्सक लगता था.
लेकिन पहिले ई बता देते हैं कि ई बिसेसता का भासन में एप्लीकेसन का बिचार हमको कइसे आया. हमारे मकान मालिक थे केसरी जी ! ऊ जब बतियाते थे त एतना अटकते थे कि उनका आधे से जादा बात तो "एथी-एथी" में ही बूझना पड़ता था. कभी-कभी बड़ा खीझ भी लगता था के आपके कौन सा वाला एथी को का समझा जाय ? हमारे एगो साथी थे बिरजेस जी, उनको गोलमोल जबाब देने में बड़ा मजा आता था. केसरी जी का "एथी" उनको एतना पसंद आया के अपना धारा-परवाह बार्ता में उसका एतना तड़का मारना चालू कर दिए के सुनने बाला सर खुजाता रह जाय पर मजाल है कि समझ में कुच्छो आ जाय. ई सब त लड़कपन का बेवकूफी था पर एक दिन हम गंभीरता से बिचार किये त लगा के "एथी" भोजपुरी का बड़ा महत्वपूर्ण सब्द है. कहीं अटक जाइए त जादा माथापच्ची का ज़रुरत नहीं है...संकटमोचन बनके "एथी" आपको बिस्मृति के भंवर से फिलहाल त बाहर निकालिए देगा ..आ भासन का परवाह बना रहेगा. सबके सामने किसी को कोई गोपनीय बात कहना हो तो एक्सक्यूज मी कहके कोने में जाके फुसफुसाने का ज़रुरत नहीं है . आपका मदद के लिए "एथी" का कवच है. बुझने बाला बूझते रहेगा आ आप अपना बात सबके सामने अपना टार्गेट तक पहुंचा भी दिए. किसी को टालना हो त ख़ास सब्द केलिए "एथी" कह के बाद में घुमा दीजिये के अरे नहीं हमारा मतलब "ऊ" नहीं "ई" था. एतना मल्टीडाइमेंसनल सब्द कहीं मिलेगा ? सलिल भैया आ मनोज जी ! का कहते हैं आप !
लेकिन पहिले ई बता देते हैं कि ई बिसेसता का भासन में एप्लीकेसन का बिचार हमको कइसे आया. हमारे मकान मालिक थे केसरी जी ! ऊ जब बतियाते थे त एतना अटकते थे कि उनका आधे से जादा बात तो "एथी-एथी" में ही बूझना पड़ता था. कभी-कभी बड़ा खीझ भी लगता था के आपके कौन सा वाला एथी को का समझा जाय ? हमारे एगो साथी थे बिरजेस जी, उनको गोलमोल जबाब देने में बड़ा मजा आता था. केसरी जी का "एथी" उनको एतना पसंद आया के अपना धारा-परवाह बार्ता में उसका एतना तड़का मारना चालू कर दिए के सुनने बाला सर खुजाता रह जाय पर मजाल है कि समझ में कुच्छो आ जाय. ई सब त लड़कपन का बेवकूफी था पर एक दिन हम गंभीरता से बिचार किये त लगा के "एथी" भोजपुरी का बड़ा महत्वपूर्ण सब्द है. कहीं अटक जाइए त जादा माथापच्ची का ज़रुरत नहीं है...संकटमोचन बनके "एथी" आपको बिस्मृति के भंवर से फिलहाल त बाहर निकालिए देगा ..आ भासन का परवाह बना रहेगा. सबके सामने किसी को कोई गोपनीय बात कहना हो तो एक्सक्यूज मी कहके कोने में जाके फुसफुसाने का ज़रुरत नहीं है . आपका मदद के लिए "एथी" का कवच है. बुझने बाला बूझते रहेगा आ आप अपना बात सबके सामने अपना टार्गेट तक पहुंचा भी दिए. किसी को टालना हो त ख़ास सब्द केलिए "एथी" कह के बाद में घुमा दीजिये के अरे नहीं हमारा मतलब "ऊ" नहीं "ई" था. एतना मल्टीडाइमेंसनल सब्द कहीं मिलेगा ? सलिल भैया आ मनोज जी ! का कहते हैं आप !
श्रीकृष्ण जन्माष्टमी की हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं !
जवाब देंहटाएंडॉक्टर साहब!
जवाब देंहटाएंसीर्सकवे गलत लिख दिए हैं आप.. ई डाका कहाँ है भाई.. ई त ऊ खजाना है जिसके ऊपर आपका ओतने अधिकार है, जेतना हमरा.. अब देखिये ना पूरा पोस्ट पढला के बाद कहीं बुझाता है कि इसमें मिठास कम है, चाहे आत्मा नहीं है, चाहे बात पहुँचा नहीं.. ई एकदम निखालिस डॉक्टर साहब का कमाल है!!
आपका पोस्ट तो एथी है जिसको पढ़ने के बाद मनवा एथी हो गया.. जीते रहिये!!
एथी...सहिए कह रहे हैं आप। समझ रहे हैं न..!सलिल भैया काहे नहीं पढ़े..? पढ़ते तो एथी नहीं करते..?
जवाब देंहटाएंदिलचस्प...
जवाब देंहटाएंश्रीकृष्ण जन्माष्टमी की हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं !
एकदम्मे कमाल का लिख मारे हैं।
जवाब देंहटाएंहमारा घर में भी एगो परानी है जो एथी बोलने बाला है। अब सिरफुटौअल का नौबत नहीं होता त एथी त हम बताइए देते लेकिन आप हमसे बेसी समझदार हैं इसलिए हम त मुंह छूपा के एथी हो जाते हैं।
(वैसे हमरा इहां इसको अथी बोलते हैं ... सायद हम सब मैथिल भासी हैं इसलिए)
ओ ...हो....तो आप एथिया में सर खुजात रहे ...?
जवाब देंहटाएंऔर हम समझे रहलीं के पुन : ब्राजील यात्रा पर हैं .....
:))
ऊफ कौशलेन्द्र जी ,मै तो आपकी इस एथी की भूल भुलैया में ही उलझ कर रह गई....बड़ा मजा आया इस मीठी भाषा को पढ़कर...मैं बोल नहीं पाती हूँ इस बात का अफसोस हो रहा है.....वैसे आपकी वो विशेष स्टाइल....अई अई ओ.....में कोई लेख आप कब लिखने वाले हैं....मुझे उसका भी इंतजार रहेगा
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