बस में है ना मोरा मनवा, लागल चइत महिनवा।
चुपके से अइहs, रतिया के अइहs
केहू न जाने सजनवा, लागल चइत महिनवा।।
टेसू भइलs मोर देहिंया, जरि-जरि चइत महिनवा।
जरि-जरि निखरल, देहीं भइलs सोना,
सोना के तsकलन पूरा दुनिया, चइत महिनवा॥
चढ़ल अटरिया भइल चन्दा के अंजोरिया।
बिखरल केसवा तs छाइलs बदरिया
कुहकेला मनवा चइत महिनवा॥
लाल गुलाबी पीयर हरियर, धीरे से डरिहs सजनवा।
रंग दे मनवा पिरितिया के रंग
उड़ल मन सुगना चइत महिनवा॥
जवाब देंहटाएंटपके ला महुवा टप-टप चइत महिनवाँ
भोरिये मे जिया धक-धक चइत महिनवाँ
खूल लिखलन चइति डागदर बाबू..चइत महिनवां..
महुवा के रस मं डुबो के खूब छक्का मरले हउआ पाण्डे जी ! ए हो देबेन्दर भइया! एगो चइती रउवो सुना दीं। बड़ा मन करता के पाण्डे जी के मुखवा से कुछ सुना जाय।
जवाब देंहटाएंचइत महिनवा में महके महुआ अउर महके ला चारो ओर फूलवा के गंध हो... बदरिया गरजे... अहा! सुन्दर छटा. मन में बाजे लागल चैती गीत हो...
जवाब देंहटाएंअप्रतिम...
बधाई.
नव संवत्सर पर हार्दिक शुभकामनायें!
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