तोय नाहीं देऊँ, देऊँ नथुनिया मैं गारी
पकरी है कसिके नथुनिया मोरी सारी।
कैसे उठाऊँ घुँघटा, ठहरी मैं अनारी
आ जा पिया मोरा घुँघटा उठा, तो पे
जाऊँ मैं आज वारी वारी।
करत पिया मों से जोराजोरी
कभी पिया हारे कभी, मैं भी हारी।
नयना
बहुत सुंदर पंक्तियां....
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