क्या
मेरा जो परिचय दे दूँ !
खड़े
हुये सब मुझको घेरे
पूछें परिचय
शाम-सबेरे
मैं ख़ुद
को ही खोज रहा हूँ
कहाँ-कहाँ
सीमायें खींचूँ !
क्या
मेरा जो परिचय दे दूँ !
मैं
प्रतिध्वनि हूँ प्रतिक्रिया हूँ
यह
अनुगूँज सभी को टेरे
कुछ
मेरे कुछ क्रन्दन तेरे
लिये उड़
रहा मैं विहंग हूँ ।
क्या
मेरा जो परिचय दे दूँ !
मैं मौन
को स्वर देता हूँ
बहता हूँ
आँसू बन तेरे
मैं हाहाकार
हृदय का तेरे
मैं
वेदना हूँ धधकती आग हूँ ।
क्या
मेरा जो परिचय दे दूँ !
कौशल भैया! आपका परिचय वैसे भी इन छंदों में नहीं समा सकता है! और जो परिचय आपने दिया नहीं वो इतना प्यारा है कि इसमें आपके व्यक्तित्व के कई कोमल पहलू उभर कर सामने आय हैं!
जवाब देंहटाएंबहुत ही प्यारा गीत!
भइया जी ! यह आपका स्नेह भाव है मेरे प्रति जो आपको मुझे इस तरह देखने को बाध्य करता है ।
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