8 नवम्बर 2016 को एक
भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अचानक विमुद्रीकरण की घोषणा कर दी । दस हजार
और पाँच सौ की मुद्रा अवैध घोषित कर दी गयी । देश को बताया गया कि भ्रष्टाचार के
विरुद्ध यह एक कठोर किंतु ईमानदार कदम है । राजनीतिक दलों के अतिरिक्त शेष भारत की
आम जनता ने कष्ट सहकर भी इस घोषणा का सम्मान किया । किंतु 16 दिसम्बर 2016 को एक
बार फिर अचानक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राजनीतिक दलों को टैक्स और
विमुद्रीकरण की सीमा से मुक्त कर दिया । आम जनता बाबा भारती की तरह ठगी रह गयी ।
उस कहानी और इस कहानी में एक बड़ा अंतर यह है कि उस कहानी में डाकू खडग सिंह का
हृदय परिवर्तन हो गया था, किंतु इस कहानी में अभी तक ऐसा कुछ भी नहीं हुआ है ।
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