1-
हनुमान हैं 
शक्ति के प्रतीक 
नफ़रत से 
जिन पर थूकने 
और 
जिन्हें जूते लगाने का
दुस्साहस है जिनमें 
वे ख़ुद को दलित कहते
हैं ...
इससे बड़ा गुस्ताख़ झूठ 
और क्या हो सकता है
भला ! 
2-
हे भीमपुत्रो ! 
थूकने 
और जूते लगाने से 
मिलता है यदि न्याय 
और होता है प्रवाहित
प्रेम 
तो मुझ पर भी थूको... 
मुझे भी लगाओ जूते ...
शायद इसी तरह हो सके
स्थापित 
अमन-चैन 
हमारे भारत में । 
मंज़ूर है मुझे 
यह सौदा भी 
अपनी मातृभूमि की
सुख-शांति के लिए !
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