रविवार, 8 जुलाई 2018

सत्ता दर्पण


1-  
सिकंदर महान
मोहम्मद बिन क़ासिम महान  
अकबर महान का बाप बाबर महान .......
ईस्ट इण्डिया कम्पनी के शातिर व्यापारी महान
.........................
तड़प रहे थे
भारत की जनता के कल्याण के लिये
अपने वतन से दूर
डालकर अपनी जान ज़ोख़िम में ?

ताकत की चाटुकारिता
करती रही है महिमा मण्डित 
कातिलों, लुटेरों और ज़ाहिलों को
इतिहास में होता रहा है यशोगान
ख़ुश होते रहे हैं लोग
कहते हुये उन्हें "वीर" और "महान" ।
हम आज भी रहते हैं लालायित
कर देने को न्योछावर
अपना सबकुछ
कुछ संगठित गुण्डों को ।

न जाने कितनी बार बहती रही हैं
ख़ून की नदियाँ
लूटे जाते रहे हैं हम
होते रहे हैं क्रूर बलात्कार
जलायी जाती रही हैं फसलें
विषाक्त किये जाते रहे हैं जलस्रोत
महान योद्धाओं द्वारा
और तुम कहते हो कि होता रहा है यह सब
प्रजा के कल्याण के लिए ?

हम आज भी हैं मुग़ालते में
कि आते हैं हुक़ूमत के भूखे
करने
हमारा उद्धार
और
होने ही वाली है वारिश
सुखों और न्याय की ।

2-  
सत्ता सुंदरी
रोज करती है एक शादी
किसी न किसी नये पाखण्ड से ।
आभामण्डल हो न जाय धूमिल
उनकी न्यायप्रियता के पाखण्ड का
इसलिये
पहनाते रहते हैं वे
कानून का
एक-एक कर नया ज़ामा
अपने शातिर इरादों को ।

प्रजा को
अपना-अपना सिला जामा
पहनाने की प्रतिस्पर्धा में
मशगूल हैं
दक्षिण भी... वाम भी ... ।
यह क्रूर तमाशा
और कब तक देखते रहेंगे हम ?

3-  
कभी नहीं लिखा गया
सच्चा इतिहास
कि होती रही है जंग
मानव सभ्यता के प्रारम्भ से ही
पिण्डारियों और मोहम्मद-बिन-क़ासिम के बीच ।
होते रहे हैं खेत
वे लोग
जो
न पिण्डारी हैं
और न मोहम्मद-बिन-क़ासिम ।
जंग में शामिल
दोनों पक्ष हैं ज़ाहिल
एक-दूसरे की परिभाषाओं में
और हम
लगाते रहे हैं प्लास्टर
बड़ी कुशलता से
हिग्स बोसॉन के सपनों का
अपने-अपने पक्षकार की परिभाषाओं में,
बनाते रहे हैं उन्हें
महान  
होते रहे हैं ख़ुश
देखकर उन्हें
पहनते हुये राजमुकुट ।

4-  
उफ़्फ़....
यह साधु भी
रावण ही निकला
उठा ले गया
इस बार फिर
सीता को .......
........................
और देख रहे हैं हम
चुराते हुये काजल
रावण को, हमारी आँखों से ।  

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