प से पर्यटन, प से पर्यावरण । एक से मोहब्बत,
दूसरे से बेहद नफ़रत । हम भारतीय इसका पूरा पालन करते हैं... कैसे ?
देखिये एक शब्द चित्र ...
स्थान - मुंशियारी का खलिया टॉप, समय अपरान्ह
चार बजे के आसपास । पर्यटन के बुरी तरह दीवाने भारतीयों के छोटे-बड़े कई समूह खलिया
टॉप पर विचरण करते हुये, प्राकृतिक सौंदर्य को पी लेने की काव्यात्मक
अनुभूति से सर्वथा शून्य चीखते हुये, बड़े गर्व से मित्रों को
दिखाने के लिये फ़ोटो खीचते हुये, चिप्स और कुरकुरे चबाते हुये
.....बेहद व्यस्तता का आलम...
युवक ने पाउच में से चिप्स का अंतिम टुकड़ा निकालकर लड़की के मुँह
में ट्रांसफर कर दिया, खाली पाउच वहीं फेक दिया
। लड़की ने अपने बैग में से कोक की दो केन निकालीं, एक ख़ुद अपने
मुँह से चिपकायी, दूसरी युवक की ओर बढ़ा दी ।
वे खाऊँ-चबाऊँ शैली की अंग्रेज़ी में किसी हिन्दी फ़िल्म की अंग्रेज़ी
फ़िल्म से तुलनात्मक खाल उधेड़ते हुये धीरे-धीरे कोक पीते रहे । कोक ख़त्म हुआ तो प्रतियोगिता
की बारी आयी ...खाली केन को फेकने की प्रतियोगिता । अत्यंत हर्षित मनोभावना के साथ
दोनों ने अपनी-अपनी कोक की खाली केन फेकी ....लड़की की केन ज़्यादा दूर तक गयी किंतु
लुढ़कते-लुढ़कते एक झाड़ी से टकराकर उसके आगोश में समा गयी । लड़की हर्ष से चीखी ,,,गोया फीफा वर्ल्ड कप जीत लिया हो । युवक की केन थोड़ी पीछे रह गयी थी लेकिन
लुढ़कते हुये लड़की की केन से कुछ और आगे निकल कर कहीं अदृश्य हो गयी । इस बार ध्वनि
प्रदूषण करने की बारी युवक की थी ...वह एक विस्फोटक ध्वनि के साथ किकिआया । लड़की को
बुरा लगा, वह हारना नहीं चाहती थी । लड़की ने पानी की खाली बोतल
फेंकी, युवक के लिये यह एक अनुकरणीय धर्म था, उसने भी अपने थैले से पानी की खाली बोतल निकालकर फेकी । । लड़की की बोतल पीछे
रह गयी, वह दौड़ती हुयी गयी और अपनी बोतल को पाद प्रहार से गति
प्रदान की । युवक चीखा ...बेइमानी है ....।
लड़की प्रफुल्लित थी ...उसके लिये परिणाम महत्वपूर्ण था ...माध्यम
या संसाधन नहीं । उसने चीखते युवक के मुँह को हाथ से दबाने का प्रयास किया ...युवक
ने इसे अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का हनन स्वीकार करते हुये लड़की से गुत्थम-गुत्था होने
का निर्णय कर लिया ।
आगे का दृश्य अन्य पर्यटकों के लिये एक श्रेष्ठ मनोरंजन प्रमाणित
हुआ और मुंशियारी के खलिया टॉप की धरती मैदान से आये इस प्रेमी युगल की हरकतों से धन्य
हो गयी ।
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