आज सुबह निर्धारित समय पर ठीक नौ बजे शेयर मार्केट खुला, पंद्रह मिनट के प्री ओपेन सेशन के बाद अभी ट्रेडर्स और इंवेस्टर्स ने अपना कामकाज प्रारम्भ किया ही था कि नेशनल स्टॉक एक्स्चेंज अचानक दस बजकर सात मिनट पर पक्षाघात का शिकार हो गया । अंततः ग्यारह बजकर चालीस मिनट पर एक्स्चेंज को बंद किया गया, गोया शेयर मार्केट की बत्ती गुल हो गयी हो । आर्टीफ़िशियल इण्टेलीजेंसी के ज़माने में एक्स्चेंज को यह समझने में ही पूरे एक घण्टे तेंतीस मिनट का समय लग गया कि पूरा एक्स्चेंज पिछले लगभग डेढ़ घण्टे से डीप हाइबरनेशन में जा चुका है । इस बीच ट्रेडर्स और इनवेस्टर्स परेशान रहे और एक्स्चेंज के होश में आने का इंतज़ार करते रहे । पूरा देश यह जानने के लिये बेकरार रहा कि आख़िर एक्स्चेंज को हुआ क्या । पर किसी को कुछ भी पता नहीं चल सका । सारे वैकल्पिक डिवायसेज़ को दिन भर साँप सूँघता रहा और आर्टीफ़िशियल इंटेलीजेंसी सन्यास धारण कर पता नहीं किस कंदरा में जाकर अंतर्धान हो गयी ।
शाम को, मार्केट
बंद होने के मात्र आधे घण्टे पहले यानी तीन बजे के लगभग नेशनल स्टॉक एक्स्चेंज की ओर
से पहली सूचना दी गयी कि तीन बजकर पैंतालीस मिनट पर आज का सेशन पुनः प्राम्भ किया जायेगा
जो शाम को पाँच बजे तक चलेगा ।
यह भारतीय
शेयर मार्केट के लिये एक अभूतपूर्व दिन था जिसे आधुनिक टेक्नोलॉजी ने दिन भर बंधक बनाये
रखा और ज़िम्मेदार लोग चादर तानकर सोते रहे । घोर आई.टी. युग में इतनी बड़ी लापरवाही
अक्षम्य है, कम से कम देश को यह ख़बर तो दी ही जा सकती थी कि मामला है क्या? तकनीकी गड़बड़ी स्वाभाविक है किंतु तीव्रगति इनफ़ॉर्मेशन टेक्नोलॉजी के युग में
इतना गहरा सन्नाटा आक्रोश उत्पन्न करता है । फ़िलहाल हम ईश्वर से प्रार्थना करते हैं
कि ज़िम्मेदार लोगों को तनिक सी ज़िम्मेदारी निभाने की भी प्रेरणा प्रदान करे ।
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