बुधवार, 20 अप्रैल 2022

महाविनाश के कगार पर

 बस इतना सा गुनाह

उसका गुनाह बस इतना सा था कि उसके मालिक को कोरोना ने पकड़ लिया था । स्वास्थ्यकर्मियों ने उसके मालिक को पकड़ कर क्वा‌रण्टाइन सेण्टर में भेज दिया जो चीन में किसी जेल से कम नहीं हुआ करते । कोरोना वायरस को नियंत्रित करने के लिए इन जेलों में चौबीसों घण्टे प्रकाश रहता है और कोरोनापीड़ित के स्नान करने पर पूरी तरह प्रतिबंध रहता है । पिछले हफ़्ते शंघाई से एक वीडियो सामने आया, जिसमें एक स्वास्थ्यकर्मी को एक कुत्ते को बुरी तरह पीटते हुये देखा गया । कुत्ते को तब तक पीटा गया जब तक कि वह मर नहीं गया । आजकल शंघाई में कोविड पॉज़िटिव लोगों के पालतू पशुओं को मार डाला जा रहा है । किंतु क्या इस तरह किसी पशु को पीट-पीट कर मार डालना उचित है?

धरती पर कई तरह के राक्षस पाये जाते हैं जिनमें सर्वाधिक क्रूर राक्षस चीन में देखे जा सकते हैं जहाँ प्राणियों को जीवित स्थिति में ही खाने का शौक अब वहाँ की परम्परा बन चुकी है ।   

निठल्लापन भी बिकता है

ग़र्मी की लम्बी दोपहरियों में नीम या बरगद के नीचे चौपाल सजा करती थी जिसमें कुछ मतलब की बातों के बाद निठल्लेपन के साथ समय बिताया जाना आम हुआ करता था । बे-बात की बातें हुआ करतीं और निठल्ले लोग हाहाहूहू किया करते जिससे सूरज ढलने तक समय काटना आसान हो जाया करता ।    

भारतीय टीवी मीडिया ने चौपाल से बहुत कुछ सीखा और चौपाल को घर-घर में पहुँचा दिया । आज हमारे टीवी चैनल्स निठल्लेपन को बेचने में अच्छी तरह पारंगत हो चुके हैं । विवादित वातें बोलने वाले परस्पर विरोधी लोगों को सादर आमंत्रित किया जाता है और किसी विवादित विषय को फुटवाल बनाकर उनके बीच उछाल दिया जाता । मोतीहारी वाले मिसिर जी को यह सब निठल्लेपन का व्यापार लगता है जिसकी वास्तव में कोईआवश्यकता नहीं हुआ करती । कभी-कभी नीतिगत विषयों पर राह चलते कुछ लोगों से उनकी राय पूछी जाती है और उसे महत्वपूर्ण बनाकर परोस दिया जाता है । टीवी सम्भाषाओं में शायद ही कभी कोई सार्थक बहस होती हो वरना एक-दूसरे को नीचा दिखाने और चीखने वाले कुछ जाने-पहचाने असभ्य और अमर्यादित चेहरों को देखते-झेलते हुये दो पीढ़ियाँ “सम्भाषा के तरीकों को सीखती हुयी” बड़ी हो रही हैं ।

टैक्टिकल न्यूक्लियर वीपन्स

कल अंतिम एक घण्टे में भारतीय शेयर्स धड़ाम हो गये । आईटी, शुगर और पॉवर सेक्टर्स जैसे दमदार शेयर्स भी धराशायी होने लगे तो निवेशक चौंके, क्या कारण हो सकता है भला! ट्रेडर्स ने शेयर्स इस तरह बेचने शुरू कर दिये गोया कीव छोड़कर बाहर भागने की तैयारी में हों । पता चला कि युद्धपोत के डूबने से बौखलाये रूस ने यूक्रेनी शहरों पर “टैक्टिकल न्यूक्लियर वीपन्स” से आक्रमण की चेतावनी दे दी है । यदि ऐसा होता है तो यह महाविनाशकारी स्थिति होगी, यूँ भी रूस और यूक्रेन, लगभग दो महीनों के युद्ध में कम तबाह नहीं हुये हैं । मोतीहारी वाले मिसिर जी मानते हैं कि अमेरिका की लगायी आग में नाटो देशों ने जमकर घी बरसाया और दो समृद्ध देशों को विनाश के महासागर में ढकेल दिया । काश! अपने व्यक्तिगत अहंकारों को छोड़कर दोनों राष्ट्राध्यक्ष हाथ मिला पाते!  

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