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वे हिन्दी प्रेमी हैं
इसीलिये
रोमन में हिन्दी लिखते
हैं
और अंग्रेजी
देवनागरी में।
सच कहूँ
तो फेसबुक के पन्नों पर
इतराती हिन्दी
रोमन वेश में विदूषक
सी लगती है।
सुना है
वह देवनागरी की
रोज हत्या करती है।
अच्छा तो है
सिन्धी को एक बहन मिल
जायेगी।
मैं
सन्देश तो लाया हूँ मरने
का
पर तुम
दुःख मत करना,
क्योंकि
हिन्दी से पहले
और भी मरती रही हैं भाषायें।
बस, हिन्दी के प्रेत
से बचे रहना
सुना है,
आजकल फेसबुक पर घूमता रहता
है।
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खजुराहो जाने की क्या ज़रूरत ?
जबकि खजुराहो
ख़ुद.....
घूमने लगे हैं शहर
में
बसने लगे हैं फ़ेसबुक
में
मंडराने लगे हैं
दिलो-दिमाग में।
खजुराहो फैल गया है
हमारे पूरे देश में।
सच ही तो
खजुराहो जाने की क्या
ज़रूरत ?
हिंदी में लिखो या इंगलिश में। हिंगलिश में लिखना देवनागरी का अपमान करना है।
जवाब देंहटाएं..सार्थक अपील करती क्षणिकाएं।
आज की तस्वीर आपने बयां कर दे है। रोमन में हिंदी और देवनागरी में इंगलिश। लाजवाब!
जवाब देंहटाएंसभी क्षणिकाएं लाजवाब ... अंतिम बहुत सटीक लिखी है
जवाब देंहटाएंअपनी अपनी क़िस्मत, अपनी अपनी फ़ेसबुक, अपने अपने फ़ेस! दुनिया में सब तरह के लोग भी हैं और साधन भी, जैसे भक्त हों वैसे आराध्य मिल ही जाते हैं।
जवाब देंहटाएंलाजबाब क्षणिकाए ,,,,,अच्छी लगी
जवाब देंहटाएंRECENT POST ,,,,,पर याद छोड़ जायेगें,,,,,