कौशलेन्द्र भाई आपकी इस कविता को पढ़कर कल का एक वाकया प्रासंगिक लगा - शेयर करता हूं - कल शाम में कहीं घूमने का मन किया हमने कहा बॉटेनिकल गार्डेन चलते हैं। बच्चों ने पूछा, वहां क्या है? हमने बताया - बरसों पुराना बरगद। उसे देख कर क्या होगा -- उनका जवाब था। *** हम बोल बच्चन उसी बॉटेनिकल गार्डेन के पास के थिएटर में देख कर चले आए। *** ये बरगद का दर्द समझने वाली पीढ़ी नहीं है। इज़्ज़त कर ले वही बहुत है। *** बरगद के लिए एक शे’र तो बनता ही है ... दरख़्त के घने साए के नीचे मुझे लगा अक्सर कोई बुज़ुर्ग मिरे सर पर हाथ रखता है।
भैया कौशलेन्द्र सर्वप्रथम आप हमारी अनंत बधाइयाँ स्वीकारे क्योकि आज पहली बार मैं आप का ब्लॉग पढ़ रहा हू और ऐसा लगा जैसे मई अपने घर आ गया हूँ . ये कविता बड़ी बात है आई के परिवार और हालत पर एक करार छठा है . यश्वश्वी भाव.............
टिप्पणियाँ हैं तो विमर्श है ...विमर्श है तो परिमार्जन का मार्ग प्रशस्त है .........परिमार्जन है तो उत्कृष्टता है .....और इसी में तो लेखन की सार्थकता है.
क्या हर्ज़ है
जवाब देंहटाएंकि हमारी आँखों का मोतियाबिन्द
किसी शल्य चिकित्सक की प्रतीक्षा में है।
आपकी
सारी बातें सच हैं
सच को स्वीकार करना आसान नहीं होता |
कौशलेन्द्र भाई आपकी इस कविता को पढ़कर कल का एक वाकया प्रासंगिक लगा - शेयर करता हूं - कल शाम में कहीं घूमने का मन किया हमने कहा बॉटेनिकल गार्डेन चलते हैं। बच्चों ने पूछा, वहां क्या है? हमने बताया - बरसों पुराना बरगद।
जवाब देंहटाएंउसे देख कर क्या होगा -- उनका जवाब था।
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हम बोल बच्चन उसी बॉटेनिकल गार्डेन के पास के थिएटर में देख कर चले आए।
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ये बरगद का दर्द समझने वाली पीढ़ी नहीं है। इज़्ज़त कर ले वही बहुत है।
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बरगद के लिए एक शे’र तो बनता ही है ...
दरख़्त के घने साए के नीचे मुझे लगा अक्सर
कोई बुज़ुर्ग मिरे सर पर हाथ रखता है।
मनोज भइया जी! रउआ ठीक कहतनी। अपसंस्कृति के दौर चल रहल बा। अब बरगद के केहू ना पूछी, घर-घर मं कैक्टस लगाय के परचलन हो गइल बा।
हटाएंबेहतरीन.............................
जवाब देंहटाएंअनु
हम्म.... बहुत कुछ सोचने पर मजबूर करती हुई कविता...
जवाब देंहटाएंवो तो ठीक है पर इतने दिनों तक थीं कहाँ शहजादी जी आप ?
हटाएंभैया कौशलेन्द्र सर्वप्रथम आप हमारी अनंत बधाइयाँ स्वीकारे क्योकि आज पहली बार मैं आप का ब्लॉग पढ़ रहा हू और ऐसा लगा जैसे मई अपने घर आ गया हूँ . ये कविता बड़ी बात है आई के परिवार और हालत पर एक करार छठा है . यश्वश्वी भाव.............
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