हैं तो ये अद्भुत चितेरे, पर किसी कला महाविद्यालय में जाकर इन्होंने कभी कुछ नहीं सीखा। सीखें भी क्यों ? इन्हें तो प्रकृति ने पहले से ही सब कुछ सिखा कर भेजा है यहाँ। तनिक आप भी देखिये इनके बनाये चित्र...
इन्हें अपने चित्र बालू पर ही बनाने का शौक है।
यूँ ही नहीं बन जाते ये चित्र। जान जोख़िम में डालनी पड़ती है.... पर जाने दीजिये...
आप तो कलाकारी देखिये।
आप यह जानने के लिये उत्सुक हो रहे होंगे कि आख़िर ये चित्र लिये कहाँ से हैं मैंने ! इस चित्र को ध्यान से देखिये, शायद कुछ अनुमान लगा सकें आप। पीछे की ओर पतली श्वेत रेखा एक लहर है। शेष विवरण नीचे देखिये ....
अद्भुत चित्र और उतने ही अद्भुत चितेरे
जवाब देंहटाएंआज आपकी कितनी सारी पोस्टें पढ़ डालीं - बस पढ़ती चली गई ,जाने कितनी देर तक !
जवाब देंहटाएंओह ..... ! यह बड़प्पन है आपका !
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