बहुरूपिया
ब्रह्म कई रूपों में प्रकट होते ही नृत्य करने लगा, जैसे कृष्ण नाच रहे हों... हर
गोपी के साथ, एक ही समय में । विभिन्न शैलियों में... विभिन्न मुद्राओं में...
किंतु एक सुनिश्चित् अनुशासन में ब्रह्म के सभी रूप नृत्य में अहर्निश लीन हैं ।
कोई स्पिन कर रहा है, कोई एण्टीस्पिन, कोई हाफ़ स्पिन, कोई ओस्सीलेशन के ठुमकों में
ही मस्त है तो कुछ को स्केटरिंग पसन्द है । कोई वर्टिकल नाच रहा है तो कोई
होरिज़ेण्टल... अद्भुत् है यह नृत्य ।
परमाणु
के भीतर अद्भुत् नृत्य चल रहा है । आकाशगंगाओं में वृहदाकार पिण्डों में नृत्य चल
रहा है । नृत्य उनके भीतर भी है और उनके बाहर भी । सब अपने-अपने ऑर्बिट में नाच
रहे हैं... कोई क्लॉक वाइज़ तो कोई एण्टीक्लॉक वाइज़ । यहाँ मैटर है, एण्टीमैटर
है... सब अपने-अपने जोड़ों में, बिना जोड़ीदार के कोई भी इस नृत्य में भाग नहीं ले
सकता । यहाँ अप है... यहाँ डाउन है, यहाँ पॉज़िटिव है... यहाँ निगेटिव है । सबकी
युति है, अद्वैत ब्रह्म द्वैत रूप में प्रकट हुआ है ।
यहाँ
प्रकाश देने वाले सूर्य हैं और अदम्य भूख से पीड़ित ब्लैक होल्स भी... जो सब कुछ
निगल जाने के लिये तैयार बैठे हैं । यहाँ फ़ोटोंस हैं जो श्रृंग और गर्त बनाते हुये
ऊर्ध्वाधर नृत्य करते हुये यात्रा कर रहे हैं । वे श्रृंग और गर्त की स्थितियों
में भी एक संतुलन बनाये हुये हैं । और एक हम हैं जो सुख और दुःख में संतुलन नहीं
बना पाते ।
अव्यक्त
से व्यक्त होने की प्रक्रिया में एक स्थिति है तन्मात्रा । तद् मात्रा, उसकी...
ब्रह्म की मात्रा, अव्यक्त के गुणों की मात्रा । वैशेषिक दर्शन में
पञ्चतन्मात्राओं का उल्लेख किया गया है । यह शब्द दुरूह है तो आप पेण्टाक्वार्क्स
का चिंतन कर सकते हैं । एण्टी मैटर और पैरालल वर्ल्ड का सत्य हमें द्वैत के रहस्य
के समीप ले जाता है । पॉज़िटिव और निगेटिव, तमस और प्रकाश, स्पिन और एण्टीस्पिन...
यह श्रृंखला कभी समाप्त ही नहीं होती... नेति नेति ब्रह्माण्ड...
आकाश
गंगाओं की संरचना से लेकर सौर्यमण्डलों और परमाणुओं... अंतरपरमाणुओं की संरचना तक
के पैटर्न में कितनी अद्भुत् समानता है ! पुरुषोऽयं लोक संमितः...
प्रकाश को प्रकट होना होता है, अंधकार को प्रकट होने
की आवश्यकता नहीं.. वह तो विद्यमान है सर्वत्र । दोनों का संघर्ष इसीलिये है...
दोनों अपना-अपना वर्चस्व बनाये रखना चाहते हैं । जगत् के लिये इनर्शिया भी उतनी ही
आवश्यक है जितनी कि गति । हम इनर्शिया या गति में से किसी एक को चुन लेते हैं अपने
लिये... दोनों के परिणाम भिन्न-भिन्न हैं इसलिये चुनने वाले को उनके भोग के लिये
भी तैयार रहना चाहिये ।
अद्भुत! एक नए संसार की यात्रा! कमाल है भैया!
जवाब देंहटाएंयह विषय जितना बचपन में आकर्षित करता था मुझे उतना ही आज भी करता है । इसकी नवीनता और आकर्षण यथावत हैं मेरे लिये ।
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