देश अनेकों हैं जग में पर , "माँ" का गौरव भारत पाता
होगी टेम्स "नदी" कोई पर , मेरी तो है गंगा "माता"।
सुर-मुनि-ज्ञानी नित कर वंदन , गायें निस दिन ज्ञान की गीता
ज्ञान भी देती, बल भी देती, बोलो जय-जय-जय गौ माता।
कण-कण में है तू बहती बन, शक्ति-प्रेम-करुणा की सरिता
सत्य सृजन है, शिव सुन्दर है, अनुपम तेरा गौरव माता।
रक्तपात जो भी रुकवा दे, गौतम-अशोक वो बन जाता
रक्त बहा दे दुनिया में जो , डायर-ओसामा कहलाता।