उम्मीद है कि युद्ध की
एफ़.आई.आर. दर्ज़ होगी...
जम्मू-कश्मीर में भारत
विरोधी नारों के साथ पाकिस्तानी ध्वजारोहण और पाकिस्तान का राष्ट्रगीत गाया जाना और
सेना पर पत्थर बरसाना अब एक आम बात हो गयी है । अब इन घटनाओं पर कोई चौंकता नहीं,
कोई आक्रोशित नहीं होता । पुलवामा में हुये क्रिकेट में यही सब फिर दोहराया गया ।
क्रिकेट स्टेडियम में पाकिस्तानी राष्ट्रगीत गाया गया, भारत विरोधी और पाकिस्तान
समर्थक नारे लगाये गये साथ में आतंकवादियों को महिमामण्डित करने वाले पोस्टर भी
लगाये गये । सम्प्रभुतासम्पन्न देश भारत की विवश जनता और निरीह सरकार इन सब घटनाओं
की अभ्यस्त हो चुकी है ।
ख़बर है कि इस घटना पर थाने में एक रिपोर्ट दर्ज़ की गयी है
। दुर्भाग्य से भविष्य में यदि कभी चीन या पाकिस्तान की ओर से भारत पर आक्रमण किया
गया तो हम उम्मीद करते हैं कि सीमावर्ती किसी थाने में एक प्राथमिकी ज़रूर दर्ज़ कर
ली जायेगी ।
क्या हम एक चिंतनशून्य और विचारशून्य
देश के महान नागरिक हैं...
जब नागरिक अपने ही देश
की सेना पर पत्थर बरसाये और सेना विवश हो जाये, जब किशोर और किशोरियाँ पुलिस पर आक्रमण
कर दें और सरकार दण्डविधान को शून्य मान कर किसी खोह में दुबक जाये, जब भारत की
राजधानी और विभिन्न शहरों में शत्रुदेश के समर्थन में और भारत के विरोध में नारे
लगाये जायें, जब भारत की धरती पर पाकिस्तान के झण्डे लहराते हुये भारत के झण्डे
जलाये जायें, जब प्रांतीय विधानसभाओं और राष्ट्रीय संसद के प्रतिनिधि भारत विरोधी बहस
में भाषा और सभ्यता की सारी मर्यादायें लाँघ जाते हों, जब कोई भारतीय सांसद शत्रुदेश
पाकिस्तान के लोगों से भारतीय प्रधानमंत्री को अपदस्थ करने का सहयोग माँगता हो, जब
भारतीय विश्वविद्यालयों के प्रोफ़ेसर्स और अध्येता आतंकवाद के समर्थन में आन्दोलनरत
होने लगें....और यह सब वर्षों से निरंतर होता आ रहा हो तो यह सिद्ध माना जाना
चाहिये कि भारत एक सम्प्रभुतासम्पन्न देश नहीं बल्कि एक भीरु देश है जो अधिक समय
तक अपने अस्तित्व को बचा कर रख सकने में सक्षम नहीं है ।
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