सरकारों द्वारा दिये जाने वाले पुरस्कारों की सत्यता आपके अंदर वितृष्ण उत्पन्न कर सकती है । इस तरह के पुरस्कार पाने वालों के प्रति विश्लेषकमन में एक प्रतिकूल धारणा उत्पन्न हो सकती है और वह व्यक्ति आपकी दृष्टि में गिर सकता है ।
तमिलनाडु की द्रविड़ मुनेत्र कड़गम
सरकार के मंत्री एम.के.स्टालिन ने गणतंत्र दिवस पर *आल्ट न्यूज* की आई.टी. सेल में
काम करने वाले मोहम्मद जुबैर को “फर्ज़ी समाचारों के कारण समाज में होने वाली हिंसा
को रोकने में मदद” के लिये सम्मानित किया है जबकि सत्य यह है कि वह व्यक्ति फ़र्जी
समाचार फैलाकर सामाजिक हिंसा को बढ़ाने का काम करने और सनातनविरोधी गतिविधियों में
दक्ष है । इन कुकृत्यों के लिये वह *फ़ैक्ट
चेक* का दावा करके सनातन और हिन्दुओं से सम्बंधित सही समाचारों को झूठ सिद्ध करने
के लिए आईटी का सहारा लेता है जिनके लिये वह कभी-कभी तो अच्छी खासी फ़ीस भी वसूल
करता है । एक विशेष ट्वीट के लिए बारह लाख और एक अन्य ट्वीट के लिए दो करोड़ रुपये
फीस लेने का आरोप स्वीकार करने वाले जुबैर को मात्र बीस हजार रुपये के बॉण्ड पर
न्यायालय द्वारा जमानत दे दी जाती है जिससे जुबैर जैसे लोगों का दुस्साहस बढ़त है
और वे *सच को झूठ एवं झूठ को सच* सिद्ध करने के राष्ट्रविरोधी कुकृत्यों में लिप्त
बने रहते हैं । हमारे न्यायालय इसीलिए अपने प्रति विश्वास और सम्मान की हत्या
स्वयं ही करते जा रहे हैं । किसी भी देश के लिए यह सर्वाधिक घातक स्थिति है ।
मुख्यमंत्री स्टालिन ने जुबैर
को गणतंत्र दिवस के अवसर पर वर्ष 2024 के लिये कोट्टई अमीर सद्भावना पुरस्कार से
यह उल्लेख करते हुये सम्मानित किया है कि “उनका काम फर्ज़ी समाचारों के कारण समाज
में होने वाली हिंसा को रोकने में मदद करता है”। जबकि वास्तविकता यह है कि उसके
ऊपर 30 से भी अधिक फर्ज़ी समाचार प्रसारित करने का आरोप लगाया जा चुका है । नूपुर
शर्मा के बारे में जुबैर द्वारा फैलाये गये झूठ के बाद पूरे देश में
*ग़ुस्ताख़-ए-रसूल की एक ही सजा, सर तन से जुदा सर तन से जुदा* करने की धमकियों की
बाढ़ सी आ गयी थी और राजस्थान में कई हिन्दुओं की ईशनिंदा के नाम पर हत्यायें कर दी
गयीं । तमिलनाडु सरकार जुबैर को दिये गये प्रशस्तिपत्र में यह उल्लेख करके कि “उनका काम फर्ज़ी समाचारों के कारण समाज में होने वाली हिंसा को
रोकने में मदद करता है” जुबैर को सारे आरोपों से मुक्त
कर देने की घोषणा करती है ।
क्या यह सच नहीं है कि हमारे
देश में कई देश बन गये हैं जो भारत के विरुद्ध सांस्कृतिक आक्रमण करते रहते हैं ।
इन आक्रमणों से स्वयं की और देश की रक्षा करने का एक ही उपाय है – झूठ का सशक्त
विरोध करते हुये सच को सच कहने का साहस ।
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