रविवार, 7 दिसंबर 2025

हिड़मा तो अजेय था, उसे मारा कैसे गया?

माओवादी गुरिल्ला कमांडर हिड़मा को जानने वालों का तर्क है कि साठ से सत्तर लड़ाकों के चार स्तरीय सुरक्षा घेरे को भेदकर हिड़मा तक पहुँचना ही असंभव था, उसे मारा कैसे गया, निश्चित ही कोई गड़बड़ है। 

समाजसेविका सोनी सोढ़ी पहले ही कह चुकी है कि हिड़मा तो आत्मसमर्पण करने गया था पर पुरस्कार के लालच में पुलिस ने उसे मार दिया । यह हिड़मा के प्रति पुलिस और सरकार का अन्याय है। 

कई लोगों की हत्यायें करने वाले कामरेड की मृत्यु से बस्तर के लोगों का व्यथित होना यह प्रमाणित करता है कि कुछ लोगों की सोच कितनी पक्षपातपूर्ण होती है कि उन्हें परिभाषायें और मानदंड बदलने में देर नहीं लगती।

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