शनिवार, 3 मार्च 2012

त्रिफणधारी सर्पराज ...प्लास्टिक की कारीगरी का एक नायब नमूना

इसे देख कर क्या आपको कालियादह के सहस्र फन वाले नाग की स्मृति नहीं हो आती ?

रायपुर से जगदलपुर राष्ट्रीय राजमार्ग पर केशकाल घाटी में मिले त्रिफणधारी इस दुर्लभ सर्प को देखने भीड उमड पडी तो सर्पराज को अच्छा नहीं लगा और वे जंगल में चले गये। 
 ..... ऐसा मुझे बताया गया पर बाद में पता चला कि यह तो नकली को असली जैसा प्रदर्शित करने की  हमारी कलाकारी का एक बेहतरीन नमूना भर है। दृष्य संयोजन की तारीफ करनी पडेगी।   



25 टिप्‍पणियां:

  1. कालियादह के सहस्र फन वाले नाग की याद आ गयी....

    जवाब देंहटाएं
  2. नहीं कालिया-डाह था, गया जगह था छोड़ ।

    रीढ़-विहीनों में लगी, रही तभी से होड़ ।

    रही तभी से होड़, छुपा कर रक्खा फन को ।

    मिलें आज हर मोड़, करें त्रस्त सज्जन को ।

    तीन फनी यह सर्प, भूल से आया सम्मुख ।

    भगा देखकर दर्प, दुर्जनों के दो सौ मुख ।।




    दिनेश की टिप्पणी - आपका लिंक

    http://dineshkidillagi.blogspot.in

    जवाब देंहटाएं
  3. डॉक्टर साहब, हम तो हाथ जोडकर प्रणाम कर लिए!!

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. काहे ? डरा गये का ? अभी का हुआ हमारे जंगल में आइये तो सही फिर देखिये किस-किस से मुलाकात करवाते हैं हम आपकी।

      हटाएं
  4. अद्भुत.....
    एक सहज जिज्ञासा डाक्टर साहेब - फ़ोटो आपका खुद खींचा हुआ है?

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. जी बिल्कुल नहीं। मैं खीचता तो कई स्नैप्स होते। हमारे हॉस्पिटल के ही स्टॉफ से मिला। पर अभी अभी पता चला कि यह नकली है।

      हटाएं
    2. सिर्फ़ इसीलिये पूछा था डाक्टर साहेब। मुझे यही अंदेशा था। थैंक्स, आपने क्लियर किया।

      हटाएं
  5. जंगल में चले गये? प्रैस कॉंफ़रेंस किये बिना? बहुत नाइंसाफ़ी है!

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. वाकई, बहुत नाइंसाफी है. अभी तो पहली अप्रेल आने में काफी वक्त है।

      हटाएं


  6. Un buen fin de semana te deseo con el afecto que hemos granjeado desde que he tenido el gusto de conocerte.

    Un beso y una melodía en armonía al día de hoy.

    María del Carmen

    (Hola, el traductor que me pedias ya lo he puesto.
    Gracias por dejar tus huellas en mi espacio de recreo.
    Un abrazo tan brillante como el firmamento.)

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. Hola Maria! Tienen un buen día y buen fin de semana. Soy un médico en un hospital de Gobierno.. .y como poemas. Quiero leer sus poemas y la cultura de la España que parhaps está influenciado con los Estados árabes y Europa.

      हटाएं
  7. Es un traductor diferente al tuyo, pero me imagino que te pueda servir de igual modo, que de hecho lo tengo en todos los blogs menos en Mis pensamientos al viento y ahora ya sí.

    ¡¡Chao!!

    María del Carmen

    जवाब देंहटाएं
  8. कौशलेन्द्र जी ,
    यह सही नहीं है ! ऐसे चित्र पर ज़ाकिर अली रजनीश के ब्लॉग पर काफी समय पहले चर्चा हो चुकी है :)
    http://ss.samwaad.com/2010/07/blog-post_27.html

    ललित शर्मा /संजीव तिवारी /डाक्टर अरविन्द मिश्रा जी की टिप्पणियाँ पढ़ने की कृपा करेंगे !

    आपने केशकाल कहा पर यहां जगदलपुर में चर्चा है कि यह सज्जन दरभा घाट में देखे गए और ऐसे ही ट्रक के पीछे खड़े होके फोटो खिंचवाए :)

    ललित शर्मा के हिसाब से केशकालिया / दरभैया त्रिफण जीभ भी नहीं लपलपा रहे हैं :)

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. अली जी की चिट्ठी मिली और एक बाहियात झूठ का पर्दाफाश हुआ। धन्यवाद अली जी!
      कमाल है, इस तरह के सेंसेशन की क्या ज़रूरत? अब मुझे भी लग रहा है कि यह नकली हो सकता है। क्योंकि जब मैने (फोटो हमारे ही स्टाफ से प्राप्त हुयी थी)कहा, चल कर देखा जाय तो लोगों ने कहा वह तो जंगल में भाग गया। डबल हेडेड सर्प के बारे में सुना था, देखा आज तक नहीं। डबल हेडेड स्पर्म भी होते हैं पर वह एक विकृतावस्था होती है, वे फर्टाइल नहीं होते।
      कहीं पढा था कि इस तरह का एक डबल हेडेड सर्प पाया गया पर वह अधिक दिन तक जीवित नहीं रहा. एक ही शिकार को दोनो मुह खाना चाह रहे थे इस झगडे में दोनो फनों ने ही एक दूसरे को लहूलुहान कर दिया था। यूँ, प्रकृति में इस तरह की अविश्वसनीय घटनायें होती रहती हैं. पर नकली सर्प को इस तरह सडक पर रखकर फोटो खीचकर सेंसेशन पैदा करना एक घटिया मज़ाक ही कहा जायेगा।
      अब यह पोस्ट भी इस बात का प्रमाण रहेगी कि लोग नकली को असली बनाने में कितने माहिर हैं और हमारे जैसे लोग कैसे आसानी से बेवकूफ बन जाते हैं।

      हटाएं
    2. मेरी टिप्पणी का सन्दर्भ भी यही था। चित्र के साथ एक नहीं कई जगह छेड़छाड़ की गयी है जो बहुत स्पष्ट है।

      हटाएं
  9. बहुत बढ़िया प्रस्तुति!
    रंगों के त्यौहार होलिकोत्सव की अग्रिम शुभकामनाएँ!

    जवाब देंहटाएं

टिप्पणियाँ हैं तो विमर्श है ...विमर्श है तो परिमार्जन का मार्ग प्रशस्त है .........परिमार्जन है तो उत्कृष्टता है .....और इसी में तो लेखन की सार्थकता है.