फागुन आयो रे साँवरिया
कलियन भँवरा छेड़ रह्यो॥
मैहर सों लौट आयी कोयलिया
सूनी-सूनी बगियन शोर मच्यो।।
कलियन भँवरा छेड़ रह्यो॥
मैहर सों लौट आयी कोयलिया
सूनी-सूनी बगियन शोर मच्यो।।
परदेस बसे नहिं आये साजन
जागी-जागी अँखियन भोर भयो॥
जागी-जागी अँखियन भोर भयो॥
गदराय रयी महुवा झूम कें कहै
देखो मोहें आमा छेड़ रह्यो ॥
देखो मोहें आमा छेड़ रह्यो ॥
हार(खेत)-बगीचा सब बौराये
आगी बरय सेमर देहिंया ॥
भीग गयी चुनरी, है भीगी अँगिया
लपट दिख रयी ना, बरय देहिंया ॥
गलियन-गलियन छोरा-छोरी
दैं पिचकारी जोरा-जोरी ॥
लपट दिख रयी ना, बरय देहिंया ॥
गलियन-गलियन छोरा-छोरी
दैं पिचकारी जोरा-जोरी ॥
भाई अपुन तो फागुन के रंग में सराबोर हो गए आपके शानदार रचना पढ़ कर... कसम से आनंद आ गया...
जवाब देंहटाएंशुक्रवारीय चर्चा मंच पर आपका स्वागत
जवाब देंहटाएंकर रही है आपकी रचना ||
charchamanch.blogspot.com
बहुत ही सुन्दर,शानदार और उम्दा प्रस्तुती!
जवाब देंहटाएंआप सभी सम्माननीय दोस्तों एवं दोस्तों के सभी दोस्तों से निवेदन है कि एक ब्लॉग सबका
( सामूहिक ब्लॉग) से खुद भी जुड़ें और अपने मित्रों को भी जोड़ें... शुक्रिया
.इससे बढ़िया होरी के रंग और क्या हो सकतें हैं जानपदिक भाषा की छटा देखते बनी है चित्र सजीव हो गीत के साथ अठखेली करे रहे .
जवाब देंहटाएं"होरी में हर छोरा 'देवर' लगय
जवाब देंहटाएंरंग पिचकारी को 'जेवर' लगय
ना मैं जीतो, ना तू हारी
प्यारी-प्यारी लागयँ, गोरी तोरी गारी"
होली की इस रंगीन 'छटा' से रूबरू करने हेतु, बहुत-बहुत बधाइयाँ.
.... आपको सपरिवार होली की शुभ कामनाएं.
हमायी गली में होरी खेलवें को आये सबई नये पुराने लोगन कों नमस्कार! रंग को थोरो सो छींटा आपऊ के ऊपर परो हे.....जानकें हमऊँ को बहोत आनन्द भयो। फेर अइयो खेलवें को होरी, हम बाट जोहत रहेंगे.....
जवाब देंहटाएंvaah | :)
जवाब देंहटाएंhappy holi
फागुनी रंग में रंगी मस्त पोस्ट।
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