गोवा दुनिया भर के लोगों के लिये आकर्षण का केन्द्र है। वास्को रेलवे स्टेशन पर उतरने के बाद जहाँ लोग कंक्रीट के ज्ंगलों और समुद्र के बीचों की ओर भागते हैं मैंने सीधे गाँवों का रुख़ किया। नारियल, पूग( सुपारी), काजू, चीकू, केला और धान के खेतों का अपना अलग ही सम्मोहन है।
नारियल के बागान नहीं सपनों की दुनिया है ये
मण्डोवी नदी से पुराने गोवा का एक दृश्य
दूर जहाँ एक फेरी खड़ी दिखायी दे रही है कभी वहीं से गोवा में प्रवेश किया था वास्को डि गामा ने
पानी में खड़े ये पौधे धान के नहीं "कैवर्त मुस्तक" Cyperus rotendus के हैं।
र्ह्यूमेटॉयड अर्थ्राइटिस की श्रेष्ठतम औषधियों में से एक। इसकी मूल से बनी एक औषधि Arthrellaa के नाम से मेडिकल स्टोर में उपलब्ध है। मुस्तकारिष्ट नाम की एक और दूसरी औषधि भी उपलब्ध है।
मनोरम डॉक्टर साहब!!गोवा को देखने की एक अलहदा नज़र!!
जवाब देंहटाएंsaare photos ek se badh kar ek... bethareen!
जवाब देंहटाएंसुन्दर पोस्ट. जिस फनस की बात कही गयी है वह कई दक्षिण एशियाई देशों में मुख्य आहार है (चावल/भात जैसा). लोग उबाल कर ही खा लेते हैं. अंग्रेजी में इसे ब्रेड फ्रूट कहते है. पके फल का स्वाद अच्छा नहीं होता (मेरे घर में हैं). कच्चे फलों को काट कर सब्जी भी बनायीं जाती है. आपने कोंकणी परंपरा के घर की बात कही है. इस प्रकार के घर वसई से चलकर केरल के अंतिम छोर तक (पश्चिमी तट) पायी जाती है. अच्छा लगा.
जवाब देंहटाएंनवागंतुकों का हार्दिक स्वागत है।
हटाएंसुब्रमण्यम जी! जानकारी में इज़ाफा करने के लिये आभार।
सुंदर चित्रों ने मोहित किया।
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