सोमवार, 9 जून 2014

कालका से शिमला

  यदि आप ट्रेन से यात्रा करने का शौक़ रखते हैं तो कालका से शिमला की यात्रा आपके लिए एक अविस्मरणीय यात्रा होगी ।     


नेरो गेज़ की सुविधायुक्त ट्रेन के अतिरिक्त साधारण ट्रेन्स भी आपको शिमला तक ले जा सकती हैं । यदि आप रास्ते में रुकते-रुकते जाना चाहते हैं तो साधारण ट्रेन ही अच्छा विकल्प है ।      


कई टनल्स और पुरानी तकनीक के मज़बूत पुलों से होकर गुज़रने वाली ट्रेन की यात्रा आपको रोमांच से भर देगी । 


 एक स्टेशन पर सुस्ताती हुयी ट्रेन । 


 छोटी ट्रेन के लिए छोटे भवन वाला स्टेशन  


 पहाड़ अधिक बड़े भवन बनाने की अनुमति नहीं देते, अलबत्ता पहाड़ियों के दिल बहुत बड़े होते हैं । 


 छोटे से प्रतीक्षालय में अच्छी-अच्छी बातें । 


आपकी ट्रेन एक्सप्रेस हो या पैसेंज़र वह हर स्टेशन पर रुककर अपना वायदा ज़रूर निभायेगी ......आप यहाँ घूमने आये हैं न ! ट्रेन रुकी ही नहीं तो घूमना कैसा ?  


टनल ही टनल, ये स्टेशन के ठीक पहले भी हैं और स्टेशन के ठीक बाद भी । 


 ...और ये रहा सबसे बड़ा टनल । बड़ोग स्टेशन के इस टनल नम्बर 33 की लम्बाई है 1145.61 मीटर  


 टनल के एक छोर से दूसरे छोर तक झाँकने का मज़ा लेना है तो ट्रेन को जाने दीजिये, अभी अगली ट्रेन है न शिमला के लिए .... 


  सिर पर घुमक्कड़ी का भूत हो और फ़ोटोग्राफ़ी का शौक़ हो तो ट्रेन छोड़ देना अच्छा सौदा है ।  

 अचानक बचपन ने दस्तक दी और कहा - चल ना यार ..... उस छोर तक जाकर फिर लौट आयेंगे। मुझे बचपन की बात माननी पड़ी .....


 कसम रेलवे विभाग की .... मुझे उनके ये स्लोगंस बहुत पसन्द हैं ।  


 हिमांचल का चप्पा-चप्पा कहता है - ज़नाब ! गाड़ी से उतरिये तो सही । 

  मन हुआ कि एक स्टेशन से दूसरे स्शटेन तक पैदल ही चला जाऊँ ...और मैंने फिर एक ट्रेन छोड़ दी .... 


आधुनिक तकनीक को चुनौती देते प्राचीन वास्तुकला और तकनीक के अद्भुत् नमूने ये प्राचीन पुल आज विश्व धरोहर हैं ।  


 पुल के नीचे पत्थरों की सीढ़ियाँ, चलिये नीचे चलते हैं ...... 


स्काउट हाल्ट ......बच्चों का कितना ध्यान रखा गया है ... 


लीजिए ......सूरज ने आसमान में लाल चादर फैला दी .... 


 ..... कि तभी एक और स्टेशन आ गया । 


 ...वा आ आ आ आ ओ ...मेरे कैमरे से इन्नी अच्छी तस्वीर ! 


 पहाड़ की माँग में सिन्दूर देखकर लोहे की पटरियाँ भी शरमा कर लाल हो उठीं ....गोया अभी-अभी भिलाई स्टील प्लांट की भट्ठी में से निकली हों । 


 अंधेरा होने से पहले हर कोई एक बार फिर जी भर कर निहार लेना चाहता है पहाड़ों का सौन्दर्य .....

                        एक यादग़ार और ख़ूबसूरत ट्रिप से लौटते स्काउट बच्चे 

                           ...आपको कोई गाना याद आया क्या .....


 ऑरेंज कलर के इन ख़ूबसूरत  फूलों वाले पेड़ का नाम क्या है मुझे नहीं मालूम । आपको पता हो बताइयेगा .....  
J J J

2 टिप्‍पणियां:

टिप्पणियाँ हैं तो विमर्श है ...विमर्श है तो परिमार्जन का मार्ग प्रशस्त है .........परिमार्जन है तो उत्कृष्टता है .....और इसी में तो लेखन की सार्थकता है.