मड़िया-आमा-चार
क्या कहने
महुआ मस्ती
फूलों के गहने
अचरज से
भर मसला सबने
बस्तर को
बूझा ही किसने ।
बघवा जब
तक रहे विचरते
गीत सुने
मैना के सबने
क्यों मौन
है मैना जंगल सूने
बस्तर को
बूझा ही किसने ।
प्राण घुटे
घोटुल के अपने
चतुरों
ने आ बेचे सपने
चारागाह
बनाया सबने
बस्तर को
बूझा ही किसने ।
जंगल
नदिया बिखरे प्रस्तर
ले रत्न
गर्भ में सोया बस्तर
आया जो
भी लगा वो छलने
बस्तर
को बूझा ही किसने ।
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