कोरोना
के विरुद्ध युद्ध जारी है, हमें एक ऐसे शत्रु के विरुद्ध युद्ध में उतरना पड़ा है जो अदृश्य है और
जिसके बारे में किसी को अधिक जानकारी भी नहीं है । इस बीच कई हाइपोथीसिस सामने आ
रही हैं और बहुत से विरोधाभास भी । मेरा मानना है कि हमें कोरोना के किले को समझने
के बाद उसे ढहाने की रणनीति बनानी होगी । उधर भारत विरोधी अमरीकी सांसदों और
वैज्ञानिकों की एक टीम भारत से अमेरिका को एक्सपोर्ट की जाने वाली दवा हाइड्रॉक्सी
क्लोरोक्वीन के ख़िलाफ़ मैदान में उतर चुकी है । जिसके बाद से कई दवा कम्पनीज़ के शेयर्स
में ज़बरदस्त उछाल के बाद बिकवाली शुरू हो गयी और पिछले दो दिनों में इप्का और आई.ओ.एल.
के शेयर नीचे आने लगे । इस समय दुनिया में कोरोना युद्ध के साथ-साथ व्यापार युद्ध
भी चल रहा है, एक साथ दो-दो विश्वयुद्ध ।
ज्ञात तथ्य
यह है कि कोरोना परिवार के सभी सदस्यों के किले की बाहरी दीवाल लिपिड (फ़ैट) की दो पर्तों
से बनी हुयी है जिसके बीच में प्रोटीन की एक पर्त है । इसके बाद शुरू होता है कोरोना
का अपना महल जिसकी दीवाल प्रोटीन की बनी हुयी है और उसके अंदर रहती है कोरोना की आत्मा
यानी रिबो-न्यूक्लियक एसिड के स्ट्रेण्ड । हमें इतनी सी ही जानकारी के सहारे आगे बढ़ना
होगा । हमारी रणनीति ऐसी होनी चाहिये जिससे लिपिड की दीवाल को तोड़ा जा सके । हम सब
जानते हैं कि साबुन का झाग लिपिड का दुश्मन होता है जो लिपिड को अपने में घुला कर हटा
देता है । इसके बाद बचती है प्रोटीन की दीवाल जिसे सूखी और गर्म हवा तोड़ देती है ।
यानी बाहर से घर वापस आते ही हाथ और चेहरे को साबुन और गुनगुने पानी से धो कर सुखा
लिया जाय तो हम कोरोना के किले को भेद सकते हैं । सावधानी यह रखनी है कि बारम्बार चेहरे
को साबुन से धोने से त्वचा पर रहने वाली नेचुरल ऑयल की स्वाभाविक पर्त भी धुल जायेगी
जिससे चेहरे की त्वचा को क्षति हो सकती है अतः धोने के बाद चेहरे में थोड़ा सा नीबू
का रस लगाया जाना उचित होगा ।
यदि हम किसी
तरह लिपिड की पर्त को ऑक्सीडाइज़्ड कर सकें तो भी कोरोना के किले को भेदा जा सकता है
। यह काम शुष्क हवा आसानी से कर सकती है । लिपिड की पर्त के ऑक्सीडाइज़्ड होते ही शेष
बची प्रोटीन की पर्त अधिक समय तक कोरोना के आर.एन.ए. की सुरक्षा नहीं रख सकती और इस
तरह किले को पूरी तरह ध्वस्त लिया जा सकता है ।
पर्सनल प्रोटेक्शन
इक्विपमेंट के बाद भी मेडिकल स्टाफ़ के कुछ लोगों को कोरोना से संक्रमित पाया जाना हमें
अन्य उपायों के स्तेमाल की ओर प्रेरित करता है । हमने बारम्बार ग़र्म पानी में हल्दी, मुलेठी,
सोंठ और नमक डालकर बनाये हुये काढ़े से कम से कम दो बार गरारा करने का
निवेदन किया है । मात्र तीस मिली.ली. की मात्रा में इस काढ़े को दिन भर में दो या तीन
बार पिया भी जा सकता है । ज़्यादातर लोग आँखों के माध्यम से होने वाले कोरोना संक्रमण
की उपेक्षा कर दिया करते हैं । हल्दी और मुलेठी से बने काढ़े से आँखों को धो लेना इस
समस्या का बेहतरीन उपाय है । ध्यान रहे, आँखों को धोने वाले काढ़े
का तापमान सामान्य यानी एट रूम टेम्प्रेचर ही होना चाहिये । जड़ी-बूटियों से बने इन
काढ़ों के प्रयोग से फ़ॉरेन बॉडीज़ को वाश आउट करने के साथ-साथ निष्क्रिय करने में भी
बहुत मदद मिलती है ।
दुश्मन को
हमारे शरीर में प्रवेश करने का आमंत्रण देने के लिए हमारी सावधानियों में जरा सी कमी
ही पर्याप्त है । इसलिए यदि किसी कारण से वायरस शरीर के अंदर पहुँच सकने में सफल हो
ही जाय तो हमें वायरस के रिप्लीकेशन को रोकने के उपायों को ध्यान में रखते हुये अपने
अगली रणनीति पर विचार करना चाहिये । सबको पता है कि विटामिन सी और ज़िंक का औषधीय प्रभाव
एण्टी-वायरल होता है । विटामिन सी के लिए नीबू का सेवन और ज़िंक के लिए कद्दू के बीज
का सेवन सबसे सरल और सहज उपलब्ध उपाय है । एक और उपाय यह भी है कि हमारे शरीर के इण्टरनल
इंवायर्नमेण्ट को किसी तरह वायरस के रिप्लीकेशन के लिए अनुपयुक्त बना दिया जाय । ध्यान
रहे कि शरीर की कोशिकाओं के अंदर पहुँचे हुये वायरस के रिप्लीकेशन को रोकना हमारे युद्ध
की अंतिम रणनीति है और यह काम हर्बल एण्टीऑक्सीडेण्ट्स के सेवन से बख़ूबी किया जा सकता
है ।
अभी जब तक
किसी के भी पास एण्टीकोरोना की ज्ञात दवा नहीं, हम चुप नहीं बैठे रह सकते । वायरस
के किले को भेद कर उसके जेनेटिक मैटेरियल को निष्क्रिय कर देने की चुनौतियों का सामना
सामान्य से घरेलू उपायों से किया जा सकना इतना असम्भव भी नहीं है ।
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