मोहम्मद-बिन-कासिम का प्रतिरोध करने के लिए राजा दाहिर थे । मोहम्मद गोरी का प्रतिरोध करने के लिए पृथ्वीराज चौहान थे । अकबर का प्रतिरोध करने के लिए महाराणाप्रताप थे । रोहिंग्याओं और बंग्लादेशियों का प्रतिरोध करने के लिए कौन है?
रोहिंग्याओं
और बंग्लादेशियों के भारत में अवैधरूप से घुसपैठ करने पर किसी ने कोई प्रतिरोध
नहीं किया, न सत्ता ने न आम नागरिक ने । उनका प्रतिरोध करना तो छोड़िये, उन्हें आक्रामक बनाने के लिये भारत में बहुत अनुकूलता निर्मित की जाती रही
है । चंगेज़ ख़ान, ख़िलज़ी और औरंगज़ेब आदि ने तुम्हारी
माओं-बहनों- बेटियों- गुरुओं और वीरों के साथ क्या किया इसे तुम भूल चुके हो और इन
क्रूर आक्रामकों की दुष्टताओं पर गर्व करने लगे हो । जो अपने पूर्वजों के साथ हुए
अत्याचारों और अपमानों से दुःखी नहीं होता बल्कि प्रसन्न होता है उनकी रक्षा ईश्वर
भी नहीं किया करते ।
मंदिर-मस्ज़िद
सरकार से
सब कुछ फ़्री में लेकर जीवन जीने वालो! भूख और महँगाई यदि तुम्हारे लिए इतनी बड़ी समस्या
है तो तुम उसके लिए क्या कर रहे हो? तुम इस समस्या को छोड़कर ज्ञानवापी
और अन्य सनातनी मंदिरों के पीछे क्यों पड़े हो जिनके ऊपर तुमने अपनी मस्ज़िदों के ढाँचे
खड़े कर लिए हैं? यदि भारत के महत्वपूर्ण ऐतिहासिक स्थानों और
मंदिरों पर तुम्हारी इमारतों और मस्ज़िदों के साइन बोर्ड्स का दावा है तो फिर आखिर भारत
के वे सब प्राचीन भवन, और मंदिर कहाँ हैं जिनसे भारत के इतिहास
और संस्कृति की पहचान होती है?
यदि तुम
भाईचारे की और सौहार्द्य की बात करते हो तो तुम्हें भारत का इतिहास बिना किसी विवाद
और धमकी के भारत को वापस कर देना चाहिये, अन्यथा यह माना जायेगा कि तुम
लुटेरे थे और आज भी लुटेरे हो । तुम्हारी सभ्यता और धर्म ने तुम्हें केवल क्रूरता और
लूटमार करना ही सिखाया है ।
बंग्लादेशियों
ने हिन्दुओं के साथ अत्याचार करना आज तक बंद नहीं किया है । बग्लादेश में हिन्दू उत्पीड़न
अब आम हो चला है । बंग्लादेशियों का अपना देश है फिर भी वे वहाँ रहना क्यों नहीं चाहते? भारत में
अवैध घुसपैठ करने के पीछे उनके लिए कौन सा आकर्षण छिपा हुआ है? यह सब भारत के लोगों को अपने आप से पूछना होगा ।
हम अत्याचार
और अतिक्रमण का प्रतिरोध करना सीख रहे हैं, और तुम्हारी लूटमार को अब और आगे
नहीं होने देंगे ।
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