मंगलवार, 30 अप्रैल 2024

कोरोना में जीसस की भूमिका और आयुर्वेद

३० मार्च २०२१, ऑप इंडिया http://www.opindia.in में प्रकाशित समाचार के अनुसार इण्डियन मेडिकल कौंसिल के पूर्व अध्यक्ष डॉक्टर जॉन रोज़ ऑस्टिन जयलाल का मोदी पर आरोप है कि “मोदी सरकार आयुर्वेद में इसलिए विश्वास रखती है क्योंकि उनके सांस्कृतिक मूल्य और आस्था हिन्दुत्व में हैं । आयुर्वेद, यूनानी, होम्योपैथी और योग इत्यादि की जड़ें संस्कृत में हैं जो हिन्दुत्व की भाषा है । सरकार आयुर्वेद के माध्यम से लोगों के दिल-ओ-दिमाग में संस्कृत भाषा को घुसाना चाहती है” । “हिन्दुओं में कई देवता होते हैं इसलिये उन्हें अब जीसस और मोहम्मद को ईश्वर मान लेना चाहिये । हर ईसाई का यह कर्तव्य है कि वह बाइबिल का संदेश सभी तक पहुँचाये” ।

आई.एम.ए. के अध्यक्षीय भाषण में उन्होंने कहा था कि वे “आज जो भी हैं वह जीसस क्राइस्ट का गिफ़्ट है और कल जो होंगे वे भी उनके ही गिफ्ट होंगे”।

क्रिश्चियन टुडेके एक इंटरव्यू में उन्होंने बताया कि महामारी के बावज़ूद ईसाई मज़हब आगे बढ़ रहा है

कोरोना काल में उन्होंने जीसस को क्रेडिट देते हुये बताया कि कि लोग उनकी कृपा से ही सुरक्षित हैं और इस महामारी में उन्होंने ही अभी की रक्षा की है । कन्याकुमारी मेडिकल कॉलेज में सर्जरी के प्रोफ़ेसर ऑस्टिन जयलाल भारत में चिकित्सा के माध्यम से ईसाई धर्म को प्रचारित करना चाहते हैं, समय-समय पर उनके भाषणों और साक्षात्कारों के कुछ अंश ध्यान देने योग्य हैं –

“...मैं चाहता हूँ कि आई.एम.ए. जीसस क्राइस्ट के प्यार को साझा करे और सभी को भरोसा दिलाये कि जीसस ही व्यक्तिगत रूप से रक्षा करने वाले हैं“।

 “... चर्चों और ईसाई दयाभाव के कारण ही विश्व में पिछली कई महामारियों और रोगों का इलाज आया”।

सारांश यह है कि आयुर्वेद की जड़ें संस्कृत भाषा और सांस्कृतिक मूल्य हिन्दू आस्था जुड़ी हुयी हैं जो जयलाल को पसंद नहीं है। इसीलिये प्रोफ़ेसर जयलाल ऑस्टिन बाबा रामदेव और आयुर्वेद को अपनी विकृत मानसिकता के वायरस से संक्रमित करने के लिये पीछे बिना हाथ धोए पड़ गये ।

आयुर्वेद की जड़ें, संस्कृति, संस्कृत भाषा, देवी-देवता, हिन्दुत्व, जीसस की कृपा, कोरोना से सुरक्षा ...आदि के सम्बंध में बाबा ऑस्टिन जयलाल के वक्तव्यों को “आपत्तिजनक विज्ञापन (प्रचार-प्रसार) अधिनियम १९५४” के अंतर्गत अपराध नहीं माना जा सकता, यद्यपि-किंतु-परंतु-तथापि... मी लॉर्ड की कृपा है कि डॉक्टर ऑस्टिन जयलाल “...हंस चुनेगा दाना-तिनका कौआ मोती खायेगा...” वाला सुख प्राप्त कर रहे हैं और बाबा रामदेव चार बार क्षमायाचना करने के बाद भी क्षमा का लाभ प्राप्त कर पाने से वंचित हैं ।  

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

टिप्पणियाँ हैं तो विमर्श है ...विमर्श है तो परिमार्जन का मार्ग प्रशस्त है .........परिमार्जन है तो उत्कृष्टता है .....और इसी में तो लेखन की सार्थकता है.