मंगलवार, 4 अक्टूबर 2011

न्यायालय की दृष्टि में मानसिक रोगी के कृत्य क्रूरता की श्रेणी में ....



३ अक्टूबर, २०११ के दैनिक भास्कर के अनुसार भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने पंजाब तथा हरियाणा के उच्च न्यायालय द्वारा किये गए एक निर्णय को निरस्त करते हुए याचिकाकर्ता पंकज महाजन को हिन्दू विधि की धारा १३ के अंतर्गत शिजोफ्रेनिया से ग्रस्त अपनी पत्नी से विवाह विच्छेद की अनुमति प्राप्त करने की याचिका को उचित ठहराया है.
माननीय न्यायालय के निर्णय का स्वागत करते हुए समाज के लिए एक विचारणीय प्रश्न उपस्थित हो गया है. न्यायालय के अनुसार- मानसिक रोग से ग्रस्त कोई स्पाउज  यदि क्रूरता करता है तो विवाह विच्छेद की पात्रता निर्मित होती है.
अब विचारणीय प्रश्न यह है कि क्या किसी मानसिक रोगी के पीड़ादायी कृत्य को क्रूरता की श्रेणी में रखा जाना उचित है ? हम क्रूरता किसे कहेंगे ? जो व्यक्ति स्वयं अपने लिए भी उचित-अनुचित का निर्णय करने में समर्थ व सक्षम न हो क्या उसके विवेकहीन कृत्य क्रूरता की श्रेणी में रखे जाने चाहिए ? 
हम तो यही समझते हैं कि जानबूझ कर किसी को पीड़ा पहुंचाने के कृत्य को ही क्रूरता कहा जा सकता है. अन्यथा ऑपरेशन कक्ष में अपने रोगी को उपचार की प्रक्रिया के अनंतर शल्य चिकित्सक द्वारा दी जाने वाली पीड़ा भी क्रूरता की श्रेणी में आ जायेगी. 
मानसिक रोगी के विवाह-विच्छेद की पात्रता पर हम विचार नहीं कर रहे हैं. हम उसके विवेकहीन कृत्य को क्रूर माने जाने की मान्यता पर विचार कर रहे हैं . 
अब तलाक के बाद की स्थिति पर विचार करते हैं. किसी तलाकशुदा मानसिक रोगी के जीवन संचालन का भार किस पर होगा ? तलाक के बाद पति तो उत्तरदायित्व से मुक्त है. मानसिक रोगी स्वयं सक्षम नहीं है. तब पिता ही एकमात्र स्वाभाविक ज़िम्मेदार व्यक्ति के रूप में सामने आता है. एक अंतिम संभावना यह भी है कि उसे सड़क पर छोड़ दिया जाय .....यूं ही ...भटकने के लिए ...या फिर आत्म ह्त्या कर लेने के लिए ( शिज़ोफ्रेनिक में अन्यों की अपेक्षा आत्महत्या की ६० गुना अधिक प्रवृत्ति होती है). किन्तु इन सबसे क्या समस्या का समाधान हो गया ? क्या अब वह तथाकथित क्रूरता के आरोप या कृत्य से मुक्त है ? 
इस निर्णय में वैवाहिक सफलता के एकमात्र पक्ष का ध्यान रखा गया है ...मानवीय पक्ष पूरी तरह उपेक्षित हो गया है. आज, जब कि शिजोफ्रेनिया के उपचार का प्रबंध संभव है .......तब भी इस संभावना पर विचार न करते हुए किया गया निर्णय पुनर्विचार की सम्भावनाओं के द्वार अनावृत रखता है. 


और एक सच यह भी -


Nobel prize-winning mathematician John Forbes Nash Jr. struggled with schizophrenia. His discoveries are well known and highly regarded by economists and mathematicians. Nash became more widely famous following the publication of a biography of Sylvia Nasar, A Beautiful Mind, and later, an Oscar-winning movie of the same name staring Russel Crowe.   


उपेक्षा का नहीं, प्रेम और सहानुभूति का पात्र है शिज़ोफ्रेनिया का रोगी.

शिजोफ्रेनिया पर एक लेख यहाँ भी है .........


http://kaushalendra-theancientscienceoflife.blogspot.com/2011/10/blog-post.html