तलाक दे चुका है राज
नीति अब यहाँ नहीं ।
ढूँढता हूँ मैं उसे
यहाँ वहाँ कहाँ नहीं ।
दिन में छिप गये उलूक
सामगान अब नहीं
खुल गया है राज ये
यहाँ वहाँ कहाँ नहीं ।
सूरज से रार ठान ली
देखो तो राजहठ ये भी
तोते भी रट रहे वही
यहाँ वहाँ कहाँ नहीं ।
रात ढल चुकेगी जब
राज भी ढलेगा तब
नीति फिर से आयेगी
यहाँ वहाँ कहाँ नहीं ।
अच्छी नीति है.
जवाब देंहटाएंराज-नीति की कथा रार ,
जवाब देंहटाएंदेखे सब संसार .