गुरुवार, 8 नवंबर 2018

संविधान


रुक जाएं,
नदियों से कह दो
बहने से पहले
संविधान बन जाने दो ।
उगे नहीं,
सूरज से कह दो
उगने से पहले
संविधान बन जाने दो ।
संविधान से श्रेष्ठ नहीं
कोई नियामक सत्ता
अणुओं, ग्रहपिण्डों, नक्षत्रों से कह दो
भौतिक धर्म निभाने से पहले
संविधान बन जाने दो ।
भारत का इतिहास स्मरण करने से पहले
अपने पूर्वजों को सम्मानित करने से पहले
संविधान बन जाने दो ।
ठहरो !
धरती ! तत्क्षण ठहरो !
अपने पथ पर घूर्णन से पहले
संविधान बन जाने दो ।

रे पाखण्डी! 
भोली-भाली दुनिया को
कितना और ठगोगे ?
ताजे पुष्पों की सुवास को
शीतल समीर में घुलने से रोक रहे हो
संविधान के साथ राम को तौल रहे हो ।
संविधान से राम नहीं हुआ करते हैं
राम नाम के बल पर जग में
जाने कितने संविधान हुआ करते हैं ।
संविधान के गीत बाद में लिखते रहना
अपनी थोथी ढपली ख़ूब बजाते रहना 
पाखण्ड रचाने से पहले
कुछ तो लाज करो
चलते रहना राजनीति की कुटिल चाल
दुष्टचाल चलने से पहले 
रामलला का उनके घर में मंदिर तो बन जाने दो ।

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