क्रोध से उफनते अनियंत्रित जलप्रवाह को
जब नहीं रोक सकेंगे
तुम्हारे कोई भी प्रयास
छिपाने लगेंगे मुँह
तुम्हारे सारे चमत्कार
असमर्थ हो जायेगी बुलेट
ट्रेन
रह जायेंगे अवाक
ध्वनि की गति से उड़ने
वाले वायुयान
दिखाने लगेंगी ठेंगा
संदेश ले जाने वाली सारी
सूक्ष्म तरंगें
डूब जायेंगे अंतिम कंगूरे
भी
तब, खण्ड प्रलय के बाद
बचे रहेंगे
कुछ गीत
कुछ नृत्य
और
हिमालय की उत्तुङ्ग
चोटियों पर
चराते हुये याक
कुछ चरवाहे ।
बसेगी
फिर ....एक नई दुनिया
उन्हीं चरवाहों से
लिखा जायेगा जिन्हें असभ्य
नयी दुनिया की नई किताबों
में ।
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