मैं आज तक नहीं समझ सका नूपुर शर्मा का अपराध, मैं आज तक नहीं समझ सका नूपुर शर्मा के पक्ष में खड़े होने वाले उन कई लोगों के अपराध जिनकी क्रूरतापूर्वक हत्या कर दी गयी, मैं आज तक नहीं समझ सका पालघर वाले वयोवृद्ध संत का कोई अपराध जिन्हें महाराष्ट्र पुलिस की उपस्थिति में पीट-पीट कर मार डाला गया। मैं नहीं समझ पा रहा हूँ पंडित धीरेंद्रकृष्ण शास्त्री का कोई अपराध जिनकी हत्या कर देने की पूर्वसूचना दी है किसी अमर सिंह (?) ने।
मैं आज
तक नहीं समझ सका कि टीवी डिबेट्स में दहाड़-दहाड़ कर हिन्दुओं की हत्या करने, उन्हें
गाँव छोड़कर चले जाने, सड़कों पर ख़ून बहा देने, राष्ट्रीय सम्पत्ति पर अवैध अतिक्रमण करने, लाल किले
पर खालिस्तानी ध्वज लहराने, दिल्ली की सड़कों को महीनों तक आवागमन
हेतु बाधित किए रहने, भारत को इस्लामिक देश बनाने, अयोध्या के निर्माणाधीन श्रीराम मंदिर को ढहाकर वहाँ पुनः बाबरी मस्ज़िद
बनाने जैसी घोषणायें बारम्बार करने वाले निरंकुश, असामाजिक
और राष्ट्रविरोधी लोगों के कृत्यों को राष्ट्रविरोधी अपराध क्यों नहीं माना जाता?
मैं यह
भी नहीं समझ पा रहा हूँ कि कुरीतियों के नाम पर सनातन समाज को परिमार्जित करने का
बीड़ा आयातित सम्प्रदाय के ठेकेदारों ने क्यों उठा लिया है जिनका सनातन समाज से
दूर-दूर तक कोई सम्बंध नहीं है,… और जो स्वयं अपने समाज या
सम्प्रदाय की कुरीतियों एवं अवैज्ञानिक किस्सों को सनातनियों पर थोपना चाहते हैं?
मैं यह
भी नहीं समझ पा रहा हूँ कि एम.ए. उपाधिधारी श्याम मानव को, जिनकी
शिक्षा में विज्ञान के विषय नहीं रहे हैं, विज्ञान की कितनी
समझ है कि वे बात-बात में अधिकारपूर्वक विज्ञान और वैज्ञानिकता की बात ही नहीं करते
बल्कि दूसरों को चुनौती भी देने लगते हैं? किसी बात की
वैज्ञानिकता को परखने के लिए उनके पास उपलब्ध उपायों और मापदण्डों की वैज्ञानिकता
क्या और कितनी है?
मैं यह
भी नहीं समझ पा रहा हूँ कि अंधश्रद्धा निर्मूलन वाले श्याम मानव ने, चुनौती
का सामना न कर पाने की स्थिति में पं. धीरेंद्र शास्त्री को लाखों रुपये का इनाम
देने के लिए व्यवस्था कहाँ से की है?
मैं यह
भी नहीं समझ पा रहा हूँ कि श्याम मानव ने अंधश्रद्धा निर्मूलन के लिए केवल सनातन
समाज को ही क्यों चुना है?
यदि आप
चमत्कार करने और औषधि के बिना ही किसी रोगी को रोगमुक्त कर देने के आश्वासनों को
अपराध मानते हैं तो ऐसा करने वालों में पुजारी, बैगा-गुनिया, पादरी और मौलवी ही सम्मिलित नहीं हैं बल्कि जनता को झूठे आश्वासन देने
वाले नेता, झूठे विज्ञापनों से जनता को मूर्ख बनाने वाले
अभिनेता, काउंसलिंग द्वारा मनोविकार दूर करने वाले
मनोचिकित्सक और कुछ रोगों में प्लेसीबो देने वाले उच्चशिक्षित चिकित्सक भी
सम्मिलित हैं। कोरोना वायरस की कोई औषधि न होने पर भी दुनिया भर के चिकित्सकों
द्वारा अ-तार्किक, अ-वैज्ञानिक और अ-विशिष्ट औषधि दे कर
चिकित्सा करने का आश्वासन देने वाले चिकित्सकों के कृत्यों को भी अवैज्ञानिक,
क्रूर और जनता को मूर्ख बनाकर धन कमाने वाला क्यों नहीं माना जाना
चाहिये?
सनातन
समाज सदा से मानता रहा है कि पाखण्ड जैसे जानबूझकर किए जाने वाले अपराधों और ज्ञान
के अभाव में अंधविश्वास जैसी धारणाओं को दूर किये जाने के प्रयास समय-समय पर किये
जाते रहने चाहिये किंतु इस कार्य के लिए अ-सनातनी लोगों द्वारा जानबूझकर सनातन
समाज का ही बारम्बार चयन किया जाना दुष्टतापूर्ण कृत्य ही कहा जायेगा। सनातन समाज
तो वह समाज है जिसमें कालक्रम में आयी कुरीतियों को दूर करने के लिए समय-समय पर
महापुरुष जन्म ले कर अभियानपूर्वक इस तरह के शोधन-परिमार्जन करते रहे हैं। यह वह
समाज नहीं है जहाँ धार्मिक-अध्यात्मिक-दार्शनिक और सामाजिक आदि विषयों के
मुक्तविमर्श प्रतिबंधित हों या “सर तन से जुदा” के नारे लगा कर किसी को भी
बलपूर्वक चुप करा दिये जाने की क्रूर और आपराधिक परम्परा रही हो।