एक हज़ार
साल बाद दुष्ट इतिहासकारों द्वारा भारत का इतिहास कुछ इस तरह लिखा जायेगा –
ईसवी
सन् 2015 तक भारत के लोग भोजन से पूर्व हाथ धोना तक नहीं जानते थे । कार्ल मार्क्स, लेनिन
और प्रभु यीषु के परोपकारी अनुयायियों ने भारत के ज़ाहिलों को भोजन से पूर्व हाथ
धोना सिखाया । इसके लिये उन्हें विशेष अभियान प्रारम्भ करने पड़े इसके बाद भी अच्छी
तरह हाथ धोना सीखने में भारतीयों ने कई शताब्दियाँ लगा दीं ।
शिक्षा
के मामले में हिंदुस्तान के लोग मूर्खतापूर्ण प्रयोग पर प्रयोग किये जा रहे थे
किंतु इसके बाद भी वे यह कभी नहीं समझ सके कि शिक्षागुणवत्ता और आरक्षण दो परस्पर
विरोधी तत्व हैं । सरकारी विद्यालयों में एक से एक अज्ञानी और शराबी लोग शिक्षण
कार्यों के लिये नियुक्त किये गये थे । वे शराब पीने और कन्या छात्रावासों की
लड़कियों से बलात्कार करने को पढ़ाई की अपेक्षा कहीं अधिक प्राथमिकता देते थे ।
इक्कीसवीं
शताब्दी के भारत में लोगों को पीने का स्वच्छ जल नहीं मिलता था । नल-जल व्यवस्था
इस प्रकार कुव्यवस्थित की गयी थी जिससे पीने के पानी में सैल्मोनीला टाइफ़ी के
अतिरिक्त कई प्रजातियों के घातक जलजंतु भी स्थायीरूप से निवास करते थे ।
इक्कीसवीं
शताब्दी में भारतीयों में राजनीतिक चेतना शून्य हुआ करती थी । सत्ता और राजनेता
अपराधमूलक थे । भयानक अपराधियों के हाथ में सत्ता की बागडोर थी । अल्लाह ने ज़ाहिल
और नोमैडिक हिंदुओं को सुधारने और सभ्य बनाने के लिये असदुद्दीन ओवेसी को तलवार
लेकर हिंदुस्तान में अवतार लेने का हुक्म दिया । असदुद्दीन ने 2015 के अक्टूबर
(पाक ज़िहादी माह मोहर्रम) महीने में पश्चिमी बंगाल पहुँचकर इस्लामिक सूबे का ऐलान
किया जिससे हिंदुओं में ख़ुशी की लहर दौड़ गयी ।
वाह, बहुत खूब। इतिहास के साथ पूर्व में भी यही हुआ है।
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