1-
विचार है एक धरती
कहीं बंजर कहीं उपजाऊ
।
कर्म है अनुवाद
विचारों का
कभी घातक कभी बिकाऊ ।
मूर्ति बनेगी तो
टूटेगी
ईश्वर की मूर्ति नहीं
होती
इसलिए वह कभी नहीं
टूटता
अमूर्त को तोड़ सकने की
शक्ति किसमें है भला !
2-
मनुष्य की मूर्ति एक
साधन है
विचारों के दोहन का ।
मनुष्य की मूर्ति एक
षड्यंत्र है
शव के व्यापार का ।
मनुष्य की मूर्ति एक
पाखण्ड है
लोगों को भ्रमित करते
रहने का ।
मनुष्य की मूर्ति एक चिंगारी
है
अघोषित युद्ध का ।
मनुष्य की मूर्ति एक
बल है
विचारों को थोपने का ।
मूर्तियाँ बनाई जाती
हैं
मूर्तियाँ तोड़ी जाती
हैं
सरल है उनका बनाना और
तोड़ना
विचारों का आचरण
कठिन है, बहुत
कठिन है
कठिन विषय को उपयोगी
समझा ही कब तुमने !
3-
विचारों की मूर्ति
नहीं होती
हो ही नहीं सकती
।
विचारक ब्रह्म नहीं है
विचारक को महत्व देना
ब्रह्म को अस्वीकार
करना है ।
विचारों को स्वीकार
करना
ब्रह्म को स्वीकार
करना है ।
विचार तोड़ना चाहते थे
और तोड़ दी मूर्ति
क्योंकि अभाव है
तुम्हारे पास
उस सद् विचार का
जो हो सकता है प्रभावी
इस असद् विचार पर ।
हाँ ! सरल है मूर्ति
युद्ध
लोगों को मूर्ख बनाने
के लिए ।
4-
लेनिन ख़त्म नहीं होता
सद्दाम हुसैन भी ख़त्म नहीं
होता
पहले जर्मनी टूटता है
फिर उसकी दीवाल टूटती है
रूस खण्ड-खण्ड हो जाता
है
थ्येन आन मन चौक पर ख़ून
बहता है ।
और आज तुमने
यह कौन सी जंग जीत ली है
मूर्ति तोड़ कर !
तोड़ सकते हो क्या
जाधवपुर और जे.एन.यू. में
पल रहे विखण्डन ?
तोड़ सकते हो क्या
वैचारिक आयात का सेतु ?
तोड़ सकते हो क्या
अँधेरे की उस दीवाल को
जिसने रोक दी है रोशनी
?
5-
मूर्तियों को नहीं मालूम
कि वे दिलाती हैं वोट
मूर्तियों को नहीं मालूम
कि वे थोपती हैं ज़िद
मूर्तियों को नहीं मालूम
के वे लगा देती हैं आग
सड़ती हुई सियासत में ।
कुछ भी मालूम होता मूर्तियों
को
तो वे कर देतीं इंकार
किसी चौक पर खड़ी होने से
।
मूर्तियों की आवश्यकता
नहीं होती
विचारों को
विचारों की आवश्यकता
नहीं होती
अनुयायियों को
अनुयायियों की
आवश्यकता नहीं होती
जनता को
जनता माँगती है रोटी
जनता माँगती है
नींद दे सकने वाली रात
जनता माँगती है
उतनी रोशनी
जो कर सके दूर
रास्ते का अँधेरा
जो फैला दिया है
मूर्तियों के
अनुयायियों ने ।
6-
मार्क्स हो चुके तुम
लेनिन और स्टालिन हो
चुके तुम
सद्दाम और हाफ़िज़ सईद
भी हो चुके तुम
विक्रमादित्य कब बनोगे
?
पूर्वोत्तर में
बोल्शेविक हो लिए तुम
दक्षिण में माओ हो लिए
तुम
भारत में भारत कब होगे
तुम ?
मुझे मालूम है
तुम कुछ नहीं होना
चाहते
तुम कुछ नहीं बदलना
चाहते
इसलिए अब भारत को
थोड़ा-थोड़ा चीन भी होना
चाहिए
जहाँ चलती है मोनो रेल
जहाँ चलते हैं मोनो
थॉट
और जिससे आँख मिलाने
में
दहशत होती है अमेरिका
को ।
7-
तुमने उनका विदेशी
बबूल उखाड़ा
उन्होंने तुम्हारा
देशी आम उखाड़ दिया ।
भूल गए तुम
कि रावण को उखाड़ने के
लिए
बनना होता है राम
बबूल को उखाड़ने के लिए
बोना होता है आम ।
आम तो बोया नहीं
बबूल उखाड़ दिया
काँटे तो चुभने ही थे
।
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