लालबत्ती
चौराहे पर
रुकते
ही वाहनों के
दौड़ पड़ते
हैं बच्चे
उलझे
गन्दे बालों वाले
पहने
मैले-कुचैले कपड़े
लेकर
फूलों की माला
‘ले लो
न सर एक’।
सेठ और
साहब
नहीं
सुनते गुहार
नहीं
देखते उनकी ओर ।
शीशे
चढ़ी कार के पास
होकर
खड़े
पत्थर
के बुतों को निहारते बच्चे
गोया
माँग रहे हों भीख ।
रंग
बदलते ही बत्ती का
बच्चे
हो जाते हैं निराश
सेठ और
साहब के बुत
करने
लगते हैं हरकत
और दौड़
पड़ता है काली सड़क पर
महँगी
गाड़ियों का रेला ।
गन्दे
बच्चों के पास हैं
उजले
फूलों की मालायें
उजले
लोगों के पास हैं
गन्दे
दिल
बेहद
उलझे हुये ।
चौराहों
पर है
मैन इन
द क्राउड
ठीक
उन्हीं चौराहों
पर है
क्राउड
इन द मैन भी ।
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