भारत से हारता भारत...
दिनांक 13 मार्च 2018 सुकमा
माओवादियों के विश्वसनीय और सीसुब के लचर सूचना तंत्र ने माओवादियों
को अवसर दिया और वे विध्वंसक कार्यवाही कर बैठे । माओवादियों के विस्फोट से युद्ध में
प्रयुक्त होने वाले एंटी लैण्ड माइंस वाहन के परखच्चे उड़ गये जिसमें नौ जवानों की तुरंत
मृत्यु हो गयी और दो गम्भीर रूप से घायल हो गये । जवानों की मृत्यु एक दिन के लिये
पुनः स्थानीय अख़बारों की सुर्खी बनी । जवानों के घर में मातमी बादल छा गये और मुआवजे
की रक़म से जवानों की ज़िन्दग़ी को तौले जाने की रस्म अदायगी की फाइलें बननी शुरू हो गयीं
।
बस्तर के लोग अब उत्तरप्रदेश, बिहार, हरियाणा, पञ्जाब, तेलंगाना और आन्ध्र प्रदेश आदि प्रांतों से आने वाले जवानों
की असामयिक मौत को देखने के अभ्यस्त हो चुके हैं । भारत की जनता भारत के भीतर भारत
को बुरी तरह परास्त होते देखते-देखते अब संवेदनशून्य हो गयी है । हृदय पाषाणी हो चुके
हैं और व्यवस्थायें अपने पूर्ण अराजक होने की घोषणा कर चुकी हैं ।
बस्तर के माओवादी पिण्डारियों की तरह वेष बदल कर स्वांग करते
हुए अपने लक्ष्य को पूरा करने में दक्ष हैं । अपने पुष्ट सूचना तंत्र और अत्याधुनिक
आयुधों के सहारे सेना की वर्दी में सेना को चकमा देते हुये सीसुब के जवानों के बीच
घुसकर संहारक युद्ध करने वाले माओवादियों के आगे हमारा इतना विशाल तंत्र अपंग हो चुका
सा प्रतीत होता है । उनके सामने हमारे संसाधन बौने से लगते हैं ।
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